हमरे डाला-पनपथियासँ देवतो-पितर पुजाइ छै
कहू यौ बाबू तैयो हम्मर देह ई कियै छुआइ छै
मेहनति हम्मर चलै छै सगरो मुदा चलै नै पानि यौ
हमरा-अहाँमे छोड़ि गरीबी अन्तर की नै जानि यौ
हमरे दूध आ जाँत-पीचसँ अहूँके नेन्ना पोसाइ छै
कहू यौ बाबू तैयो हम्मर देह ई किए छुआइ छै
अहिँक देहसन लाले सोनित बहै छै हमरो देहमे
जीबै छी हमहूँ यौ भलमानुस सरधा आर सिनेहमे
हमरे गढ़ल मुरुत भऽ गोसैयाँ मन्दिरमे सजि जाइ छै
कहू यौ बाबू तैयो हम्मर देह ई किए छुआइ छै
कहबी छै जे लोकके नमहर बनबै ओकर विचार यौ
तैयो कैलए अछोप कहिकऽ करै छी दुरबेहवार यौ
भेदभावसँ गाम-समाजक रोग-बिआधि जुआइ छै
आबो नइ कहियौ यौ बाबू लोकसँ लोक छुआइ छै
- पुस्तक : ई-मिथिला
- संपादक : बालमुकुन्द
- रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
- संस्करण : 2025
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.