प्रेम में लौटना

prem mein lautna

शालिनी सिंह

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प्रेम में लौटना

शालिनी सिंह

और अधिकशालिनी सिंह

    बारहा पुकारने से स्मृतियों के पेड़ सदा हरे रहते हैं

    तो हम प्रेम में पुकारते रहेंगे एक-दूसरे को

    मुस्कुराहटों के जवा कुसुम अपने जूड़े में

    खोंसे प्रतीक्षा करूँगी तुम्हारे आने की

    तुम अपनी शर्ट की जेब में

    हमारी यादों का फूल टाँके रहना

    तुम्हें विदा करते समय रही रुलाई को

    मन के लिहाफ़ में दबा दूँगी

    और उत्फुल्ल चेहरे के साथ करूँगी विदा

    तुम भी अपनी पनीली आँखों से मुस्कुरा भर देना

    आकाश में उमंग रहे तारों के बीच ढूँढूँगी कोई चमकीला तारा

    जो धरती से सदा के लिए ओझल होकर

    उग आया हो किसी तारे के रूप में

    तुम्हारे साथ पढ़ी गई

    किताबों के पन्ने फिर फिर एकांत में पढ़ूँगी

    एक चूके हुए स्पर्श को देह पर महसूस करूँगी

    चाँद की तश्तरी से झरती चाँदनी में तुम्हारा नाम लूँगी

    एक साथ देखे हुए सपनों को बचाकर रखूँगी

    हरसिंगार जो आज गुमसुम से डाली से विलगे हुए थे

    उन्हें धरती में मुरझाने से पहले अपनी हथेलियों में भर लूँगी

    तुम्हारे इंतज़ार की कड़वाहट को

    याद के मीठेपन से भर दूँगी

    बस तुम लौट आना अँधेरा छँटने से पहले

    कि जैसे लौट आती है अपनी ही प्रतिध्वनि

    टकराकर पहाड़ों से

    वैसे ही लौट आना तुम

    अपनी प्रिया की

    बाट जोहती दो आँखों के पास

    कि प्रेम के बचे रहने के लिए

    लौटना ज़रूरी होता है

    स्रोत :
    • रचनाकार : शालिनी सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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