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ज़माना आज का

zamana aaj ka

मान्या श्रीवास्तव

अन्य

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मान्या श्रीवास्तव

ज़माना आज का

मान्या श्रीवास्तव

और अधिकमान्या श्रीवास्तव

    इस ज़माने के भी ज़रा अजीब-ओ-ग़रीब मिज़ाज हैं।

    ये वह ज़माना है जो कहता है हम बड़े अक़लबाज़ हैं।

    जो परवाह करने की बातें करता है,

    जो हमारे लिए ज़रा ख़ौफ़नाक सी रातें करता है।

    ये वह ज़माना है जहाँ बेटियों को पढ़ाने की बातें तो लोग करते हैं,

    पर भूल जाते हैं—

    की उनके साक्षर होने के लिए, जमाज़े का शिक्षित होना कितना ज़रूरी है।

    जानती हूँ! फ़िक्र करते हैं आप क्यूंकि 'ज़माना ख़राब है।

    पर कभी बेटों से भी पूछिएगा, हाँथ पकड़ कर उनको भी रोकिएगा,

    कहाँ जा रहे हो ? कब लौटोगे? ज़रा दोस्तों का नंबर देदो,

    इन सवालों की थाली उनको भी परोसिएगा।

    आख़िर कुलदीपक हैं वह—

    उनकी फ़िक्र नहीं आपको?

    ज़रा पूछिएगा की रात को गाड़ी लेकर कहाँ जाता है?

    क्यों कभी-कभी पूरी रात घर नहीं आता है?

    अगर इतना ही पढ़ता है तो फेल क्यों हो जाता है?

    क्यूँकी बेवजह देर रात तक बेटे घर के बाहर रहते हैं,

    और अगर बेटियाँ रह जाएँ तो एक बेदिल हादसा उनके साथ हो जाता है।

    कई बेटों को मैंने भी देखा है, सच कहूँ तो उनसे बहुत कुछ सीखा है,

    कई बेटे ऐसे जो ज़माना बदलना चाहते हैं,

    कई ऐसे जो संभालना और ज़रा संभलना चाहते हैं।

    पर कइयों ने उनका ये करना ज़रा मुश्किल बना दिया है,

    ना जाने क्यों कुछ के अपनों ने उन्हें इतना बेदिल बना दिया है।

    ज़माने के उस तबक़े के लिए कभी-कभी बुरा लगता है,

    जिसमे से कई अदब और लिहाज़ का मतलब जानते हैं,

    पर कुछ जाहिलों की वजह से, लोग उन्हें भी उसी दर्जे का जाहिल मानते हैं।

    खैर! ज़माना आज भी अपने तारीफ़ों के पुल बाँधने से नहीं थकता,

    बुरा लगता है क्यूंकि आज भी ये अपनी ग़लतियाँ छुपाने से नहीं रुकता,

    आज भी ये गिनवाता है की, कितनी क़ामयाबी हासिल की है हमने,

    काश............

    मैं समझा पाती की क़ामयाबी का ग़लत मतलब निकाल लिया है तुमने।

    क़ामयाब तुम उस दिन कहलाओगे,

    जब दिन के किसी पहर निकालने मैं कोई ख़तरा नहीं होगा,

    जब किसी की नज़रें घूरेंगी नहीं,

    और सुनसान गलियों से निकलते वक्त दिल में डर का कोई क़तरा नहीं होगा,

    जब कपड़े का साइज करैक्टर का सर्टिफ़िकेट नहीं देगा

    जब लड़का हो या लड़की, फ्रेंडशिप डे पर वह किसी की झिझक के बिना तोहफ़ा दे सकेगा।

    जब ज़माना साक्षर और शिक्षित के बीच का फ़र्क़ बता पाएगा,

    तभी तो ये सर्वप्रथम से 'सर्वोतम' की तरफ़ क़दम बढ़ाएगा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मान्या श्रीवास्तव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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