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पिताक मादे कविता

pitak made kavita

अरुणाभ सौरभ

अन्य

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अरुणाभ सौरभ

पिताक मादे कविता

अरुणाभ सौरभ

और अधिकअरुणाभ सौरभ

    जखन-जखन गामसँ घूरि आबै छी

    स्मृतिमे बेर-बेर जीवंत भऽ जाइछ

    हमर ओ गाम-चैनपुर,

    झीकि लैत छैक हमरा

    अपन चुम्बकत्वसँ

    तुर्गनेव1 केर 'स्पारकायो लुतोवीनोवो2   जकाँ

    हमज़ातोवक3  दाग़िस्तान 4 जकाँ

     

    हमरामे 'फादर एण्ड सन' लिखबाक

    कोनो सामर्थ्य नहि

    मुदा, हमर पिता गामक सभ पिता जकाँ

    सभटा जिम्मेदारी निमाहैत

    अनवरत कोदारि पाड़ैत छथि

     

    निरंतर चलैत हुनक खुरपी-कोदारि

    अपन सभटा दुःख-दर्द बिसरि जेबाक

    माध्यम थीक

     

    खुरपीक बेँटपर पड़ि गेल

    पिताक आँगुरक चेन्ह

    हुनकासँ नजरि बचाकेँ

    चूमि लैत छी

    अपना पिताक दुनियामे रहितो

    पितासँ दूर

    सुमिरन करैत छी पिताकेँ

    जे हमरा

    गाँधीक ओहेन अवशेष लगैत छथि

    जकरा सत्तालोलुप वर्ग

    दबाकेँ पीचि देने होइ

    अक्सरहाँ हम अध्यापक आ किसानक

    मिलल-जुलल तहजीबमे

    पिताकेँ देखैत छी

    तखन हमरा अपन कलम

    पिताक खुरपी जकाँ लगैत अछि

     

    मुदा हम कलम घसिकेँ

    कागत घिनाबैत छी

    पिता खुरपी चलाकेँ

    धरतीकेँ चमकाबैत छथि

     

    वैह सालक

    वैह मासक

    वैह तारीखक

    एक्कहि दिनमे

    वैह समयमे

    स्रोत :
    • पुस्तक : एतबे टा नहि (पृष्ठ 14)
    • रचनाकार : अरुणाभ सौरभ
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2017

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