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फूल नाम है दिन

phool naam hai din

अनुवाद : सुरेश सलिल

अतानास वांगेलोव

अन्य

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अतानास वांगेलोव

फूल नाम है दिन

अतानास वांगेलोव

और अधिकअतानास वांगेलोव

    (1)

    तुम जंगल के किसी वृक्ष पर हँस सकते हो

    और मान ले सकते हो कि वह सिर्फ़ तुम्हारे लिए सिरजा गया था

    अगर वहाँ पास में कोई नदी बहती हो

    तुम नदी और वृक्ष के बीच किसी रिश्ते की पड़ताल करने लगते हो

    इस तरह वृक्ष-धर्म की सृष्टि कर के

    तुम चकित हो रहे हो।

    यह दंतकथा उल्टी तरफ़ से भी लागू हो सकती है

    और उस हालात में भी सच होगी।

    इसका मतलब हुआ कि

    अगर तुम उसे पहचानते हुए उस पर टिके रहते हो

    तो पहले ही उस से परे जा चुके हो

    और अगर उपेक्षा से मुँह मोड़ लेते हो

    तो जुदा रह नहीं पाओगे।

    (2)

    नदी, जो आमादा है मुझे मिटाने पर

    आमादा है रेत पर की मेरी जोत डुबाने पर

    नदी, जो हर इक चीज़ में अँखुवा बन कर

    उसे एक फूल की शक्ल देती है,

    और आखिरश् यह सब यकसाँ नज़र आता है,

    मुमकिन और नामुमकिन को हम

    फूल नाम से पुकारते हैं।

    अगर तुम्हारा किसी अजनबी लम्हे से वास्ता पड़े

    जबकि तुम किसी नामौजूद चीज़ पर यक़ीन करो,

    तो वो लम्हा इक फूल होगा

    रूह की चाराग़री के लिए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 452)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : अतानास वांगेलोव
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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