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फसल

phasal

संदीप तोमर

अन्य

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और अधिकसंदीप तोमर

    मैं खिड़की से देखता हूँ

    अपने पिता को

    वह पिता, जिसने

    बहा अपना पसीना

    सींचा है मुझे

    और बनाया है

    एक कमज़ोर पौधे से

    मजबूत विशाल दरख़्त,

    वह पिता सुबह निकल पड़ता

    खेत में

    कभी रोपने धान, तो कभी

    उगाने गेहूँ की फसल

    रात को मैं खिड़की खोल,

    देखता-उस पिता को

    जो नींद से उठ

    चल पड़ता—

    खेत को सींचने,

    ताकि

    खेत की फसल से

    पल्लवित हो उसकी अपनी फसल,

    वह पिता हर रोज़

    मरता, जब बेमौसम बरसात,

    या फिर सूखा

    बरसाता अपना क़हर

    तब वो पिता

    डूबता चिंता में

    मुझे मैं बनाने की चिंता में

    घुल जाता वो पिता

    और मैं बस बंद कर खिड़की

    जुट जाता

    उसके सपने का

    सपना पूरा करने में।

    स्रोत :
    • रचनाकार : संदीप तोमर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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