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पत्र जो भेजा न जा सका

patr jo bheja na ja saka

वेसेलिन आन्द्रेयेव

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वेसेलिन आन्द्रेयेव

पत्र जो भेजा न जा सका

वेसेलिन आन्द्रेयेव

और अधिकवेसेलिन आन्द्रेयेव

    गहरी निद्रा में डूबे हैं सारे साथी

    शिविर शांत है, सिर्फ़ एक संतरी जागता

    जब भी तुम सपनों में आती देखा करता

    बहुत-बहुत तुम परेशान हो, प्यारी माँ!

    मैं फिर से उस कोमलता का अनुभव करता

    जिसको केवल माँ का प्यार जगा सकता है

    घृणा प्राण में भरी हुई पर इतना जानो

    जगह आपकी कभी कोई पा सकता है।

    दुःख का सबसे तीखा कारण यह है मेरा

    तुमसे मिलने नहीं गेह पर जा सकता मैं

    यही जानना चाहा करती 'क्या मैं जीवित?'

    मेरा कितना अर्थ तुम्हारे लिए, पता है।

    एक पुत्र ऐसा खोया कुछ ज्ञात नहीं है

    पुत्र दूसरा भरी जवानी में दफ़नाया

    और मुझे तूफ़ान उड़ा लाया है घर से

    अब शेष बचा है तुमको जीवन में क्या, माँ?

    पंथ दूसरा क्या कोई अपना सकता था

    मुझे और भ्राता को हृदय मिला जो तुमसे

    वही शत्रुओं के प्रति घृणा से धड़क रहा

    घृणा शक्तिशाली होती है सदा प्रेम से।

    रक्त-पात थम जाए युद्ध के बाद किंतु जब

    भरी चाँदनी में माँ आना घर के बाहर

    वहाँ मिलेगा वीर पुत्र द्वारे पर तुमको

    चुंबन अंकित करना तब उसके मस्तक पर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बल्गारियाई कविताएँ (पृष्ठ 72)
    • संपादक : रमेश कौशिक
    • रचनाकार : वेसेलिन आन्द्रेयेव
    • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

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