Font by Mehr Nastaliq Web

पत्र

patr

आकाश वर्मा

अन्य

अन्य

और अधिकआकाश वर्मा

    मेरी कविता एक पत्र भर है

    वैसे तो पत्रों का समय अब नहीं रहा

    व्यक्तिगत संबंधों का भी समय, अब नहीं रहा

    पत्र जो ज़रूरी (नहीं) थे

    फिर भी इसे छोड़कर जा रहा हूँ

    इसलिए कि प्रेम एक बहुत मीठी चीज़ है

    इसलिए कि केवल विरोध करने के बजाए

    सब कुछ हल करना ज़रूरी है

    इसलिए कि कही गई बात ध्वनि भर रह गई

    पेड़ों से, फूलों से, धरती से

    आसमानों से टकरा कर रह गयी

    इसलिए कि शरीर की शक्ति को तश्तरी में परोश कर रख दिया

    इसलिए कि धरती सब कुछ सुन सुनकर

    बहुत भारी हो गई है

    और उसका सौंदर्य जगह-जगह से

    उघड़कर बदरंग और जुगुप्सित हो चुका है

    और इसलिए भी कि मेरी आँखों में—

    रोशनाई की जगह बुद्ध और यम भर गए हैं

    जो मेरे मस्तिष्क का चक्कर काटते हैं

    वायुमंडल के ताप को दिन और रात में

    बाँटते हैं

    मेरे बाद यह पत्र

    सबके दरवाज़ों पर जाएगा

    जो जगह हवाओं से भरी है

    वहाँ थोड़ी-सी जगह बनाकर

    अपने शब्दों को रख आएगा,

    जो बताएँगे कि कुछ था जो नहीं गुजरा

    कोई नदी थी जिसे बहना ज़रूरी था

    कोई हवा थी जिसे सुगंधित होना था

    एक मुस्कुराहट

    जो सबके चेहरों पर आनी थी

    कोई बात जो बेहद ज़रूरी थी—

    नहीं हुई

    और दुनिया पूरब से पश्चिम को गुजर गई।

    स्रोत :
    • रचनाकार : आकाश वर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY