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नियति

niyti

विजेता चौधरी

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और अधिकविजेता चौधरी

    पुनः जन्म लेलक अछि दुःशासन

    पुनः निर्वस्त्र हेतीह द्रोपदी

    भोगबाक छैक नियति एखन युगो-युग धरि

    तेँ एकहि बेर जन्म लेलक अछि

    लाखो-लाख दुःशासन दुर्योधन सभ

    पौरुष अहंकारक पाछाँ

    नग्न होयबाक परम्परा

    चलि आयल छैक महाभारतहि कालसँ

    तेँ प्रत्येक दिन जन्मैत अछि

    एखनहुँ द्रोपदी दुःशासन

    होइत छैक वस्त्रहरण

    स्त्रीक प्रतिष्ठा सम्मानक चद्दरि

    हरण भऽ गेल छैक चीरहिं जकाँ

    मात्र शेष छैक तँ पौरुषता

    जे भरल सभामे

    हजारहुँ आँखिक आगाँ

    नग्न करय जनैत अछि

    माता, पत्नी, स्त्री वधुकेँ

    स्त्रीक अस्मिता शतरंजक पाशा बनि गेल छैक

    जेना भरल सभामे खने शकुनी भँजैत अछि

    खने अर्जुन

    सरिपहुँ युधिष्ठिर धरि

    सभा समाज तहियो मूक छलैक

    आइयो मूक छैक

    मानवताक ढालक भीतर

    दमनकारी प्रवृत्ति कहियो मत्थर कहाँ भऽ सकलैक

    मात्र युग बदलि गेलैक अछि

    सभ्यता नहि

    तेँ एखनहुँ

    बहुत रास कुन्ती

    द्रोपदी

    सरिपहुँ सीता धरि

    लड़िये रहल अछि

    कुरुक्षेत्रमे

    अपन अस्तित्वक युद्ध

    निरन्तर लड़िये रहल अछि।

    स्रोत :
    • पुस्तक : धाराक विरुद्ध (पृष्ठ 55)
    • रचनाकार : विजेता चौधरी
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2019

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