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नदी के पास लौटा

nadi ke pas lauta

शहंशाह आलम

अन्य

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शहंशाह आलम

नदी के पास लौटा

शहंशाह आलम

और अधिकशहंशाह आलम

    नदी के पास लौटा

    बहुत दिनों के बाद

    आवेग से भरी लगी मुझे

    थिरकती भी लगी वह

    देखा सो रहे पेड़ों को जगते

    अपने हरियल पत्तों में

    तोतों को जोश से भरते

    बहुत दिनों के बाद

    प्रेम की पतली धार

    बहती दिखी आँखों में उसकी

    सूखी पत्तियों के बीच जो सोई थी

    एक स्त्री आदिवासी पूरी तरह

    एक राग गूँज उठा है

    मीठे पानी के दरिया में

    उसको हरे इस वन में

    कुलाँच मारते देखकर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : थिरक रहा देह का पानी (पृष्ठ 32)
    • रचनाकार : शहंशाह आलम
    • प्रकाशन : बोधि प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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