उन्माद भरल स्नायुतंत्र
ओ तँ मातबर
सरहेसा घोड़ा जकाँ
आँखि मूनि
द्रुत गतिसँ
मतर सुन्न भए
संस्कृतिक आत्माक
चेथरी उड़ाबैत
ओगतायल छथि
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद लेल
सुधि-बुधि विचारकेँ
धरेंगपर राखि
हम मूकदर्शक बनि
एकटा भोट खसाय सकै छी
विकासक आसमे
विश्वासमे
आइ राजनीति
चहटगर मुद्दा अछि
मंदिर-महजिद
जाति-धरम
तेँ हम रोजी-रोजगार
सुख-शांतिक चिंता छोड़ि
बुझै लागल छी
अपन पड़ोसीकेँ शत्रु
धार्मिक उन्मादसँ भरि गेल
हमर स्नायुतंत्र
हमरासँ जूनि करू
कोनो विकास
कोनो शांतिक उमेद
हमर माथा
हमर बुधि
हमर सोच
हमर स्नायुतंत्रसँ निर्धारित
आ हमर स्नायुतंत्र उन्मादसँ
संचित अछि।
- पुस्तक : परिचय बनैत शब्द (पृष्ठ 61)
- रचनाकार : मुख्तार आलम
- प्रकाशन : मुख्तार आलम
- संस्करण : 2021
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.