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माँ का तुलसी का बिरवा

maan ka tulsi ka birva

सीमा असीम सक्सेना

अन्य

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सीमा असीम सक्सेना

माँ का तुलसी का बिरवा

सीमा असीम सक्सेना

और अधिकसीमा असीम सक्सेना

    माँ के घर के आँगन में लगा 

    एक छोटा तुलसी का बिरवा 

    जिसमें मां सुबह-सबह जल चढ़ाती 

    शाम को दिया जलाती और 

    उसकी प्रतिदिन करती 

    पूजा अर्चना 

    कार्तिक पूर्णिमा के दिन

    उनकी शादी करती  

    और देती रहती नसीहतें

    कि तुलसी के पौधे पर 

    इतवार के दिन ना जल चढ़ाना 

    और ना उसका पत्ता तोड़ना

     माँ कितनी अच्छी बातें बताती थी 

    उस बिरवे से कितनी रौनक़ थी हमारे घर में 

    अब कोई नहीं लगाता 

    अपने घरों में तुलसी का बिरवा

    ना ही कोई अब जल चढ़ाता 

    उनकी शादी रचाता 

    अब तो लोग लगाते हैं तुलसी का पेड़ 

    चाय में डालने को 

    काढ़े में डालने को 

    अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने को 

    दवा बनाने को 

    उनका व्यापार करने को 

    क्योंकि हर चीज़ में देखते हैं आजकल 

    इंसान अपना स्वार्थ

    अपना कारोबार 

    अपना व्यापार 

    अपना धन 

    कैसे बढ़ाएँ ऐसा कोई तरीक़ा 

    माँ तुम मुझे बहुत याद आती हो 

    मुझे तुमसे मिलना है लेकिन 

    इस कोरोना काल की वजह से 

    हम नहीं पाते तुम्हारे पास 

    करने तुमसे अपने मन की बात

    हम जल्दी ही आएँगे माँ

    तुम अपना ख़्याल रखना

    जैसे तुम रखती थी ख़्याल

    तुलसी के बिरवा का...

    स्रोत :
    • रचनाकार : सीमा असीम सक्सेना
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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