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लड़कियाँ ज़ख़्म की तरह आई

laDkiyan zakhm ki tarah aai

वसुंधरा यादव

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वसुंधरा यादव

लड़कियाँ ज़ख़्म की तरह आई

वसुंधरा यादव

और अधिकवसुंधरा यादव

    लड़कियाँ ज़ख़्म की तरह आई

    उन्हें गहरे टीसते ज़ख़्म की तरह पाला गया

    अपनी माँओ के ज़ख़्म पर फाहे रखती लड़कियाँ

    अपने पिताओं से अपने प्रेमियों को छिपाने की

    नाकाम कोशिश करती लड़कियों के जिस्म पर

    उग आते हैं पितृसत्ता के ज़ख्म

    माताओं के पास ज़ख्म थे हमारे पास रुई से फाहे

    पिताओं के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कती

    लड़कियों ने कभी भी पिता से दूल्हे नहीं चाहे

    अपनी माँ सी बेटियाँ नहीं चाही

    बेटियों के सरों पर हाथ रखते लरजते है पिताओं के हाथ

    दुनिया की आधी लड़कियों ने उन्हें

    उनके ज़ख़्मों के साथ छोड़ जो दिया।

    स्रोत :
    • रचनाकार : वसुंधरा यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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