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कुत्ते

kutte

नवीन सागर

अन्य

अन्य

नवीन सागर

कुत्ते

नवीन सागर

और अधिकनवीन सागर

    कुत्ते आदमी के सहज ग़ुलाम हैं

    आदमी के साथ वैसे वे अनमने उदास नहीं दिखते

    जैसे घोड़े

    वैसे धीरजवान जैसे गधे।

    कुत्ते अक्सर आदमी की दुनिया में

    अपनी जगह बनाते हैं

    घरों में पूँछ हिलाने, भौंकने और काटने की तत्परता

    उन्हें आदमी के काम का बनाती है।

    उन्हें पट्टे और ज़ंजीरें मिलती हैं।

    जो आवारा होते हैं उनका सब कुछ बेकार जाता है

    उनमें लड़ाइयाँ होती हैं उनमें से कई पागल हो जाते हैं

    कई को म्यूनिस्पैलिटी वाले मार देते हैं

    हाईवे पर ट्रकों-मोटरों से कुचले जाते हैं

    खाने के लिए उनकी बहुत जानमारी होती है

    राह चलते लोग उनसे डरते हैं और पत्थर मारते हैं

    पले हुए कुत्तों का उनसे कोई संबंध नहीं होता

    बस्तियों में इस तरह कुत्तों के दो प्रकार मिलते हैं।

    कुत्तों का जीवन

    आदमी के खेल का हिस्सा लगता है

    वे जल्दी बूढ़े होते हैं

    और बारह बरस के होते होते मर जाते हैं

    मैंने एक बूढ़े कुत्ते को

    गर्मियों की रात में

    इतना निस्पृह देखा

    कि जितना चाँद निस्पृह था

    और जितने तारे टिमटिमा रहे थे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : नींद से लंबी रात (पृष्ठ 55)
    • रचनाकार : नवीन सागर
    • प्रकाशन : आधार प्रकाशन
    • संस्करण : 1996

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