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किन होठों को...

kin hothon ko. . .

एडना सेंट विंसेंट मिले

एडना सेंट विंसेंट मिले

किन होठों को...

एडना सेंट विंसेंट मिले

और अधिकएडना सेंट विंसेंट मिले

    किन होठों को ग्रहण किया है मेरे होठों ने, और कहाँ, और क्यों,

    मैं भूल गई हूँ—कि कौन-सी बाँहे फैली रही हैं

    मेरे सर के नीचे सुबह होने तक, मगर आज रात की बारिश

    सजीव है रहस्यमयी छायाओं से, जो दस्तक देती हैं

    खिड़की के शीशे पर, आह भरती हैं

    और इंतज़ार करती हैं जवाब का;

    और मेरे दिल में उभरता है एक ख़ामोश दर्द

    उन विस्मृत तरुणों के लिए जो अब कभी

    आधी रात आँखों में आँसू भरे मेरे वक्ष में माथा छुपाने नहीं

    आएँगे

    जैसे शिशिर में खड़ा रहता है एकांत पत्रहीन तरु

    नहीं जानता कि कौन-कौन से पक्षी उड़ गए हैं एक-एक कर,

    पर यह जानता है कि उसकी डालियाँ पहले से कहीं ज़्यादा

    ख़ामोश हैं—

    मैं नहीं जानती कि कौन से प्यार मेरे जीवन में आए और गए—

    सिर्फ़ यह कि मुझमें वसंत मुखर था

    कुछ ही पहले—और अब नहीं है

    स्रोत :
    • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 47)
    • संपादक : धर्मवीर भारती
    • रचनाकार : एडना सेंट विंसेंट मिले
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
    • संस्करण : 1960
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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