कर दिया गया बाहर मैदान से
kar diya gaya bahar maidan se
(यानिस रित्सोज़ के लिए, एक ग्रीक जेल में)
कवि है यह!
इसे हटा दो यहाँ से!
कोई काम नहीं है इसका यहाँ,
किसी खेल में यह नहीं लेता है हिस्सा
यह नहीं होता है उत्साहित
यह बोलता भी नहीं है
कोई चमत्कार भी प्रभावित नहीं कर पाता है इसे
यह बिताता है
मीन मेख निकालते हुए पूरा दिन
रहता है हमेशा
छिद्रान्वेषी
दूर भेज दो इसे!
बाहर फेंक दो इस चिड़चिड़े को,
बात-बात में झुँझलाने वाला यह
ग्रीष्म में
अपने गहरे रंग के चश्मे में,
धूप से चौंधिया जाता है
यह हमेशा बहका हुआ रहता है
अपने समय की घटनाओं और
शानदार विपत्तियों से
जिनका कोई इतिहास नहीं है
यह प्राचीन भी पड़ गया है
यह बूढ़े आर्मस्ट्रांग को पसंद करता है
और अधिक से अधिक
पीतॉ सीगॉ का एक गाना गुनगुनाता है
यह गाता है
साँसों ही साँसों में
क्यूबा का एक विद्रोही गान
उन्नीसवीं सदी का
'ला गुअन्तानामेरा'
लेकिन कोई
खुलवा नहीं सकता है इसके होंठ
कोई भी
हँसा नहीं सकता है इसे
जब शुरू होता है शो
और विदुषक मंच पर उछलता है,
जब तोते चीख़ते हैं
एक साथ प्रेम और भय में,
और जब तख़्ते चरमराते हैं,
वहाँ पीतल और नगाड़ों का शोर उठता है,
और प्रत्येक व्यक्ति कूदता है
आगे झुकता है
फिर पीछे
मुस्कुराता है
और मुँह बाकर चिल्लाता है,
“हाँ, हाँ,
हाँ वास्तव में,
हाँ, हाँ निस्संदेह हाँ...?“
और वे नृत्य करते हैं
सब
सुंदर नृत्य करते हैं।
नृत्य
जैसे हुक्म दिया जाता है उन्हें
किंतु इस व्यक्ति को बाहर निकाल दो
कोई काम नहीं है इसका यहाँ
कुछ भी तो नहीं।
- पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 256)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : इबॉर्तो पॅदिल्ल्या
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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