कभी वैज्ञानिक को राष्ट्र के नाम संदेश देना चाहिए

kabhi waigyanik ko rashtra ke nam sandesh dena chahiye

शशिभूषण

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कभी वैज्ञानिक को राष्ट्र के नाम संदेश देना चाहिए

शशिभूषण

और अधिकशशिभूषण

    मैंने सुना

    हमारे देश के वैज्ञानिकों ने

    कोरोना का टीका बनाया

    कोविड भारत में सौ साल में

    सबसे बड़ी महामारी है।

    इस आपदा से मौत को आँकड़ों में

    इस आपदा के दुःख को शब्दों में

    इस आपदा से अवसर को नीतियों में

    इस आपदा से धन को गिनती में

    इस आपदा की अनसुनी को शिकायतों में

    इस आपदा के प्रबंधन को गुहारों में

    इस आपदा में अस्पतालों को दुनिया में

    इस आपदा की कालाबाज़ारी को मीडिया में

    इस आपदा से राजनीति को दस्तावेज़ों में

    नहीं बताया जा सकता

    केवल निबल कवि अभ्यास से

    इतना कहा जा सकता है

    जिसने भोगा हो कोरोना

    वह उपमा कहाँ से लाएगा?

    न्याय किस लोक में पाएगा?

    कोरोना से मरे एक इंसान का

    उसके अंतिम दिनों में रहा पास

    कर दे केवल टूटा-फूटा बयान

    तो पत्थर दिल भी आँसू बहाएगा।

    मैंने प्रधानमंत्री के मुँह से सुना

    हमारे भारत के वैज्ञानिकों ने

    कोविड का टीका बनाया है

    लेकिन मैंने नाम नहीं पढ़ा

    कहीं तस्वीर नहीं देखी

    केवल कुछ अमीर कंपनी मालिकों को

    देखा-सुना-पढ़ा

    नेताओं को वैज्ञानिकों के गुण गाते पाया

    टीका प्रमाणपत्र में

    प्रधानमंत्री की मज़बूत तस्वीर छपी देखी।

    जिन्होंने भारत में

    कोरोना का टीका बनाया

    मैं उन्हें देखना चाहता हूँ

    उनके नाम पढ़ना चाहता हूँ

    उन्हें सुनना चाहता हूँ

    वे कैसे दिखते हैं?

    कैसे बोलते हैं?

    उनकी छाप अपने दिल में

    हमेशा के लिए रख लेना चाहता हूँ

    ऐसा मैं संदेह में नहीं करना चाहता

    विनती पूरी होने पर

    कृतज्ञ होना चाहता हूँ

    मैंने भारत में कोरोना से तबाही देखी

    तो टीका बना लेने वाले

    उसके वैज्ञानिकों को भी देखा तो

    जीवन में कितनी बड़ी उपलब्धि होगी!

    जब वैज्ञानिक सामने होंगे

    नास्तिकों के आगे भी फ़रिश्ते होंगे

    मुमकिन है तब मुझे शब्द मिलें

    मेरे आँसू रुकें

    मैं पहले ही क्षमा माँग लेता हूँ

    पूछना चाहता हूँ

    देश के लोगों के आगे

    कभी वैज्ञानिक को

    क्यों नहीं लाया जाता?

    क्या वैज्ञानिक आना नहीं चाहते?

    क्या उन्हें लोगों के सामने आने में

    भीतरी रोक महसूस होती है?

    क्या वे शर्मिंदा हैं?

    कि भारत के लोग कोरोना का इलाज

    झाड़ फूँक, देवी-देवता, गोबर-मूत्र

    और योग व्यायाम को समझ रहे हैं?

    वैज्ञानिकों के सामने आने में

    आख़िर क्या रुकावट है?

    कौन-सी अड़चन है?

    क्या वैज्ञानिकों के आने में रोड़े डाले गए हैं?

    क्या भारत में कभी वैज्ञानिक को

    राष्ट्र के नाम संदेश नहीं देना चाहिए?

    कुछ पलों के लिए ही सही

    कोविड टीका बनाने वाले वैज्ञानिकों के सामने से

    सबको हटा लिया जाए

    देश को अपने महान वैज्ञानिकों को

    देखने दिया जाए।

    स्रोत :
    • रचनाकार : शशिभूषण
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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