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एक दिन अली ने माँ से कहा

ek din ali ne maan se kaha

अनुवाद : उपासना झा

फरूग़ फरूख़ज़ाद

फरूग़ फरूख़ज़ाद

एक दिन अली ने माँ से कहा

फरूग़ फरूख़ज़ाद

और अधिकफरूग़ फरूख़ज़ाद

    छोटा अली

    बिगड़ैल अली

    अचानक जागा

    ठीक आधी रात में

    उसने अपनी आँखें मलीं

    अपने छोटे हाथों से

    दो बार उसने जम्हाई ली

    फिर वह बैठ गया

    क्या हुआ है?

    क्या देखा है उसने?

    ***

    उसने एक स्वप्न देखा,

    एक मछली के बारे में

    एक चमकीली, फ़ुर्तीली मछली

    नरम, चिकनी, चालाक

    हल्की, रौशन, छोटी

    ऐसा लगा जैसे सूरज की चमकती किरण

    नीले फ़लक़ के बीचोबीच

    अली की दोनों आँखों को

    जुगनू और तारों से भरती हुई

    और आख़िरकार

    वह सतह पर आई

    उसके छोटे पंख थपथपाते

    पानी के चेहरे को सहलाते

    उसकी ख़ुशबू बहुत दिलकश थी

    जैसे धुली हुई साफ़ चादरें

    जैसे नई नोटबुक्स

    जैसे उपहारों के रैपर्स

    ऐसा महसूस हुआ

    जैसे गर्मी में छत पर गुज़री रातें

    जैसे तारे,

    जैसे बरसात,

    जैसे पूरे चाँद की रात

    इसकी ख़ुशबू थी—

    जैसे कैंडी, जैसे चॉकलेट और जेली

    ये बस बहुत प्यारी थी

    यह स्वर्गिक झीलों में नहाती देवी जैसी थी

    जैसे सोने का ताज पहने कोई संत

    वह स्वर्ग की एक दैवीय झलक थी

    यह जो भी था

    वह जो भी थी

    हमारे अली को भा गई

    हाँ, नन्हा अली उस चमकीली मछली के प्यार में

    दीवानों की तरह पड़ गया

    जैसे ही अली ने अपने छोटे हाथ निकाले

    उस कलाकृति,

    उस अनमोल सुंदरता को पकड़ने को

    देवता क्रुद्ध हो गए,

    भयानक गर्जना कर

    तूफ़ान भयंकर शोर मचाने लगा

    मूसलधार बारिश होने लगी

    पृथ्वी फट गई

    और मछली को लील गई

    नन्हा अली अकेला रह गया

    अपने छोटे से बिस्तर में,

    बिना किसी सपने के

    बिना चमकीली मछली के

    उदास और खोया हुआ

    ***

    आँगन में क्रूर हवा बह रही थी

    यह वृक्षों की जटाओं को घसीट रही थी

    यह बिस्तर और चादरों में बह रही थी

    हवा बह रही थी और रस्सी पर

    गीले कपड़े और चादरें लटक रहे थे,

    पास-पास

    वे खेल रहे थे,

    हवा में नाच रहे थे

    मनमौजी झींगुर ज़ोर से गा रहे थे

    जब हवा हल्की होती, मेंढक गा रहे थे

    कहें तो वह रात भी

    पहले बीती रातों जैसी थी

    केवल अली अलग था

    छोटा-सा अली मोह में पड़ा हुआ था

    उस जादुई मछली के

    उसे अपने सपनों की मछली चाहिए थी

    वह उसके बारे में सोचना बंद नहीं कर पा रहा था

    उस चमकीली मछली ने तब से

    अली के ज़ेहन पर क़ब्ज़ा जमा लिया

    ***

    नन्हे अली

    नन्हे अली

    इतना मत हिलो डोलो

    सीधे बैठो नहीं तो गिर जाओगे

    या तो तुमने सपना देखा,

    या उसे किसी नील झील में देखा

    वह सचमुच की नहीं थी

    किसी उलझन में मत पड़ो,

    वह कोई वहम थी

    अपना दिन ख़राब मत करो

    क्या हुआ है तुम्हें?

    दिक़्क़त क्या है तुम्हारी

    तुम तंदुरुस्त हो, भाग्यशाली हो

    मछली को भूल जाओ!

    ‘‘सुनो मेरी बात

    सपनीली राहें सचमुच में नहीं होती—

    पैदल चलने की जगह और सूचनाओं के साथ

    रौशनी और के साथ

    सपनों में तुम खो सकते हो

    सपनों में, सपनीली राहों से

    वापसी का कोई रास्ता नहीं!’’

    देखो प्यारे अली

    तुम बड़े हो जाओगे

    तुम एक कार ख़रीदोगे

    तुम एक घर ख़रीदोगे

    तुम शायद एक मालिक बन जाओगे

    शायद तुम प्रसिद्ध हो जाओ

    तुम ख़ूबसूरत होगे

    तुम घूमोगे

    सब अच्छा होगा

    तुम खेलते क्यों नहीं?

    क्या तुम्हारे दोस्त नहीं हैं?

    क्या तुम्हें अपने खिलौने पसंद नहीं?

    तुम क्यों इतने उदास हो?

    प्यारे अली,

    तुम दीवाने हो गए

    अपनी समझ खो बैठे हो

    मतलब ऐसी भी क्या मछली थी

    मेरी समझ में नहीं आता

    प्यारे अली,

    तुम बीमार हो रहे हो

    और मैं पागल हो रही हूँ

    तुम बहुत बिगड़ गए हो

    और मैं तुम्हें सज़ा दूँगी

    आइसक्रीम,

    साइकिल,

    कोई पार्टी

    क्या था ऐसा उस मछली में?

    तुमको ज़रूरत क्या है मछली की?

    बदबू आती है उससे

    मर जाती है मछली

    एक कौड़ी की नहीं होती

    जाओ अपने बिस्तर पर

    सोने की कोशिश करो

    और मुझे अकेला छोड़ दो

    ***

    पानी गुमसुम था

    बहुत थका हुआ

    पानी धीरे-धीरे

    लौट रहा था

    आकाश की छत पर

    नन्हे अली

    तुमने मुझे निराश किया

    हर कोई चमकीली मछली के

    ख़्वाब नहीं देख सकता

    वे सपने देखते हैं फ़्राइज, चिप्स और मछली के

    वे सपने देखते हैं जवान औरतों के, धनी पुरुषों के

    वे सपने देखते हैं पोशाकों और नेकलेस के

    कुत्तों और कारों के

    जो भी मछली का स्वप्न देखता है,

    उसे ख़ुद जाकर उसे लाना पड़ेगा

    जो भी मछली का स्वप्न देखता है

    उसके दिन खरबों तारों से भर जाते हैं

    उसे कोई और दृश्य नहीं दिखता

    उसे रौशनी की ज़रूरत नहीं पड़ती

    उसे रातों को नींद नहीं आती

    मेरे प्यारे अली,

    मुझे निराश मत करो

    ***

    तितली डूब रही थी

    अली पानी की आवाज़ सुन रहा था

    ऐसा लगा जैसे कोई अली को पुकार रहा था

    ऐसा लगा एक हाथ,

    एक नम और मुलायम हाथ ने

    उसकी पीठ को थपका

    नन्हे अली

    तुम नहीं आना चाहते क्या?

    मैं चमकीली मछली हूँ

    मेरा यक़ीन करो

    मैं ठीक यहाँ हूँ

    पानी के नीचे

    मेरे प्यारे अली

    मैंने तुम्हारा इंतिज़ार किया

    बहुत वक़्त हुआ

    मैं तुम्हें सागर में ले चलूँगी

    ज़्यादा दूर नहीं है

    ज़्यादा मुश्किल भी नहीं है

    मैं तुम्हें वहाँ ले चलूँगी

    जहाँ मोतियों के दरवाज़े हैं

    क्रिस्टल का महल

    रौशनी के पहाड़ हैं

    हम वहाँ खेलेंगे।

    मेरा यक़ीन करो अली

    अगर तुम ये सब नहीं देखोगे

    तो तुम्हारे जीवन का अर्थ क्या है?

    अगर वहाँ नहीं जाओगे

    तो तुम्हारा समय किसलिए है?

    मेरा यक़ीन करो अली

    अगर तुम ये सब नहीं देखोगे

    तो तुम्हारे जीवन का अर्थ क्या है?

    अगर वहाँ नहीं जाओगे

    तो तुम्हारा समय किसलिए है?

    नन्हे अली

    इस गंदे तालाब में

    मेरी तबीयत बिगड़ रही है

    अपना मन बनाओ

    या तो मेरे साथ चलो पानी में कूदो

    या मैं तुम्हें छोड़कर चली जाऊँगी

    ***

    आकाश गर्जना करने लगा

    तूफ़ान शुरू हो गया

    पानी ऊपर को उठने लगा

    और अचानक

    अली को निगल गया।

    पानी की सतह पर

    रूपहले घेरे बनने लगे

    वे खोते गए

    खोते गए

    फिर नीले बुलबुले

    उनकी जगह आए

    और अंत में

    पानी की सतह पर

    नन्हे अली का

    कोई नामोनिशान नहीं था

    ***

    —अली कहाँ है?

    —मुझे परवाह नहीं!

    —क्या कर रहा है?

    —मुझे परवाह नहीं

    अगर तुमको जानना है तो

    पानी में कूद जाओ!

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा पत्रिका
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : फरूग़ फरूख़ज़ाद
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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