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ह्वाकीन अर्तोला

hvakin artola

अनुवाद : सुरेश सलिल

अर्नेस्तो कार्देनाल

अन्य

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अर्नेस्तो कार्देनाल

ह्वाकीन अर्तोला

अर्नेस्तो कार्देनाल

और अधिकअर्नेस्तो कार्देनाल

     

    मालिक, जंग के दिनों, एक बार पहले भी 

    इस चक पर, काम करते हुए, मैंने दिन गुज़ारे हैं 

    खेत-मज़ूर कहता है।

    तब लड़कैयाँ के दिन थे, और मुझे याद है

    कि किस तरह एक सुबह, 

    अभी झुटपुटा ही था और पूरा मैदान धुंध से भरा था, 

    मैं बाल कतरने के लिए, घोड़ियों को लाने बाहर निकला, 

    और जल्दी ही, उनको हँकियाये, वापस लौट रहा था 

    कि तभी गोली दगने की आवाजें सुनाई दीं 

    और गोलियों की आवाज़ सुनते ही घोड़ियाँ बिदक गई, 

    हालाँकि उनको क़ाबू में रखने को मैंने बहुत हाथ पैर मारे 

    मगर वे बिदकीं तो बिदक ही गई 

    और अब मैं पिछुआते हुए उनके पीछे-पीछे भागने लगा। 

    तभी वहाँ बंदरमुँहा यांकी नज़र आए, 

    उन्होंने झुंड के झुंड घोड़ों की भगदड़ सुनी 

    तो दुम दबाकर भाग लिए, सोचा होगा कि कुमुकें आ गई

    और अब मैं घोड़ों और यांकियों पर साथ साथ धावा बोले हुए था। 

    यांकियों को उकसाने की मंशा से में रह-रहकर चिल्ला उठता : 

    अरे भगोड़ो, हिम्मत हो तो मोर्चा संभालो!'..

    मैं ‌ह्वाकीन अर्तोला तुम्हें चुनौती दे रहा हूँ। 

    मेरे पीछे जो और लोग थे— वे उन पर छुरे चलाए जा रहे थे 

    या फाँसा डालकर घेरने की कोशिश में थे और लाठियाँ सँभाले हुए थे 

    बल्कि एक को तो हमारे साथी आंद्रेस कास्त्रो ने ठिकाने ही लगा दिया

    बाक़ी ओस्तोकल मैदान के पार भाग गए। 

    आज फिर आया हूँ, मालिक, इस बुढ़ौती में कुछ काम माँगने, 

    मगर, सच मानिए 'सान हेसिंत11 आने का यह मेरा पहला मौक़ा है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 346)
    • रचनाकार : अर्नेस्तो कार्देनाल
    • प्रकाशन : मेधा बुक्स
    • संस्करण : 2003

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