आओ, इन चमकते हुए तटों पर आओ—वह अपने से बुदबुदाया—
यहाँ देखो जहाँ रंग उल्लास में दमकते हैं
एक ऐसी जगह जो राजसी लोगों के प्रदूषण से मुक्त है
जहाँ उनकी खिड़की-बंद गाड़ियाँ नहीं हैं, उनके सरकारी दूत नहीं हैं
जल्दी करो, कहीं कोई मुझे देख न ले—वह फुसफुसाया—
मैं रात से निकला हुआ एक भगोड़ा हूँ
अँधेरे से आया हुआ एक चोर।
सूर्य से भरी हुई हैं मेरी जेबें
और मेरी क़मीज़—
आओ, मेरा वक्ष जल रहा है और मेरे हाथ—
इसे ले जाओ।
और एक बात है जो मुझे तुमसे कहनी है
जिसे मुझे भी नहीं सुनना चाहिए।
पूर्वजों की क़ब्रें
हमें अपने मृतकों की रक्षा करनी चाहिए, उनकी सामर्थ्य की—
जिससे कि हमारे शत्रु
किसी दिन उन्हें खोदकर अपने साथ ले न जाएँ।
उनके बग़ैर हम दुहरे ख़तरे से घिर जाएँगे। हम
अपने घरों, अपने फ़र्नीचर, अपने खेतों के बग़ैर कैसे रहेंगे?—
ख़ासकर अपने, पूर्वजों की क़ब्रों के बग़ैर; योद्धाओं, विद्वानों के बग़ैर?
याद करें कैसे स्पार्टा के लोगों ने तेजिया ओरस्तेस की हड्डियाँ चुराईं थीं।
हमारे शत्रुओं को कभी यह पता न चले कि हमने उन्हें कहाँ दफ़नाया है।
लेकिन हम कैसे यह जानेंगे कि हमारे शत्रु कौन हैं।
वे कब आ रहे हैं, वे कहाँ से आ रहे होंगे?
इसलिए कोई भव्य स्मारक नहीं, कोई लंबी-चौड़ी साज-सज्जा नहीं।
इससे उनका ध्यान खिंचेगा, उनमें ईर्ष्या जागेगी—
हमारे मृतकों के लिए
यह सब ज़रूरी नहीं। बस सादगी, पवित्रता, ख़ामोशी,
उन्हें शहद, अगरबत्ती और खोखले कर्मकांड नहीं चाहिए।
बल्कि एक सादा पत्थर ही काफ़ी है, जिरैनियम का एक गमला,—
एक गुप्त संकेत, या फिर कुछ नहीं।—
एहतियात के लिए हम उन्हें अपने दिलों में रख सकते हैं,
रख सकें तो।
बेहतर हो हम भी न जान पाएँ कि उन्हें कहाँ दफ़नाया गया है।
इन दिनों जैसा चल रहा है—क्या पता?
किसी दिन हम ख़ुद ही उन्हें खोद कर निकाल दें और कहीं दूर
फेंक दें।
- पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 159)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक सारा कफातू, मंगलेश डबराल
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.