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बचपन-रात

bachpan raat

अन्य

अन्य

बचपन में मुझे

माँ और पिता के बीच में

सुलाया जाता

मेरी नींद कभी-कभार बीच रात में ही

टूट जाती

और मैं उठते ही

माँ को ढूँढ़ता।

घुप्प अँधेरे में

एक जैसे दो शरीरों में

मैं अंतर नहीं कर पाता

इसलिए मैं अपनी तरफ़ ढुलक आए

दोनों चेहरों को टटोलता

पिता की नाक काफ़ी बड़ी थी

सो मैं उन्हें पहचान जाता

मेरे लिए जो पिता नहीं थे

वो ही माँ थी

इस तरह मैंने अँधेरे में

माँ को पहचानना सीखा।

स्रोत :
  • रचनाकार : अदनान कफ़ील दरवेश
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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