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इस शाम की रोशनी कुछ सुनहरी है

is shaam ki roshni kuch sunahri hai

अनुवाद : सरिता शर्मा

अन्ना अख्मातोवा

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अन्ना अख्मातोवा

इस शाम की रोशनी कुछ सुनहरी है

अन्ना अख्मातोवा

और अधिकअन्ना अख्मातोवा

    इस शाम की रोशनी कुछ सुनहरी है

    अप्रैल की ठंडक कितनी कोमल है

    हालाँकि तुम आए हो बहुत बरसों की देरी से,

    आओ मैं फिर भी तुम्हारा स्वागत करती हूँ।

    क्यों नहीं बैठते तुम मेरी बग़ल में

    और ख़ुश होकर देखो चारों ओर

    इस छोटी-सी नोटबुक में

    मेरे बचपन में लिखी कविताएँ हैं।

    मुझे माफ़ कर दो कि मैं ज़िंदा रही और विलाप किया

    और सूरज की किरणों के लिए आभारी नहीं थी....

    कृपया मुझे माफ़ कर दो, मुझे माफ़ कर दो क्योंकि

    मैंने तुम्हें कोई और समझ लिया...

    स्रोत :
    • पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कविताएँ (पृष्ठ 48)
    • रचनाकार : अन्ना अख्मातोवा
    • प्रकाशन : इंडिया टेलिंग
    • संस्करण : 2020

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