Font by Mehr Nastaliq Web

एकान्त संकेत-स्मृति

ekaant sanket smriti

हंसराज

अन्य

अन्य

हंसराज

एकान्त संकेत-स्मृति

हंसराज

और अधिकहंसराज

    ओना हमर आँखि एखनहुँ अछि लाल

    नहि सोहाइत अछि पीयर

    गाढ़ अथवा उदास

    कथा भिन्न जे चाहैत छी हम उज्जर

    आ, साफ।

    मुदा,

    कोइलीक बाजब

    एखनहुँ धरि नीक लगैत अछि

    बसातमे डोलैत पैघ-छोट डारि-पात

    नीक लगैत अछि कारी कारी भमरा

    आ, टटका फुलायल कोनो फूल

    आ, कोढ़ी तँ आर अधिक...।

    मुदा,

    जानि नहि कियैक

    सभमे अहीँकेँ देखैत छी

    जानि नहि

    सभठाम एकटा गंधहीन मादकता

    सभठाम एकटा शब्दहीन स्वर-वितान

    एकटा पातर सन मेटाइत ज्योति-रेखा!

    एतबेटा तँ रहि गेल अछि

    आब हमर इच्छा

    मेटाइत पातर रेखा धए लटकि जाइ

    लटकल रही अनन्त आकाशमे

    निराधार

    आ, मेटाइत-मेटाइत ओकरा छोड़ि दी

    अकस्माते

    आ, बौआइत रहि जाइ मुक्त,

    निरबलम्ब!

    मुदा,

    हम से सभ किछु नहि कए पबैत छी

    कारण,

    जखन अहाँक सम्पूर्ण व्यक्तित्वक स्मृतिमे

    संज्ञाहीन हमर अस्तित्वक सर्वनामहु नहि रहल

    एकटा प्रश्नचिन्ह

    अथवा सेहो नहि—

    ओना अधम पुरुषक सम्बोधनसँ

    हम होइत रहल छलहुँ तृप्त;

    आब अहाँक अन्यपुरषहुक स्मृति

    हमरा सहल नहि जाइत अछि।

    तेँ तँ रहि गेल अछि आब हमरा

    जीवन-यापनक अबलम्ब

    अहाँक ओहि एकान्त-संकेतक

    स्मृति मात्र!

    स्रोत :
    • संपादक : बालमुकुन्द
    • रचनाकार : हंसराज
    • प्रकाशन : ई-मिथिला
    • संस्करण : 2018

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY