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एक शहर

ek shahr

ममता जयंत

ममता जयंत

एक शहर

ममता जयंत

और अधिकममता जयंत

    एक शहर

    जिसके पास हैं अनंत तस्वीरें 

    वह ढल रहा है प्रेमिका की आँखों से 

    आँसू बनकर

    वही शहर

    बन गया है बच्चे के मन की जिज्ञासा

    झाँक रहा है चमकती आँखों के कौतूहल से

    एक शहर

    भरा है बुज़ुर्गों की आँखों में

    जिनकी लाचारी निगाह बाँधे देखती है

    हर आदमी को बड़ी उम्मीद के साथ

    शहर का आदमी

    देख रहा है नुमाइश में लगा सर्कस

    शहर कर रहा है उसका मनोरंजन

    पूरी उमंग और उल्लास के साथ

    एक शहर 

    डूब गया है अँधेरे में

    हो गया है प्रेमी की आँखों से ओझल

    लौट रही है उसकी रोशनी ढलते आँसूओं के संग 

    उजाला सिर्फ़ प्रेमी की स्मृतियों में है!

    एक शहर

    हो गया है गुम

    अपनी ही गलियों में कहीं!

    स्रोत :
    • रचनाकार : ममता जयंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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