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एक अरसे बाद

ek arse baad

संदीप तोमर

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संदीप तोमर

एक अरसे बाद

संदीप तोमर

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    एक अरसे बाद मैंने देखा 

    बाद्लो का प्रकोप घनघोर 

    किसान की छाती पर लोटते साँप 

    सिसकते हृदय से निकलती आह 

    एक अरसे बाद...

    कैसे मैं सुन पाया 

    रामदास के बच्चे की आह 

    फसल बिक पाने से 

    फीस जमा हो पाने का गम 

    एक अरसे बाद...

    मैंने देखा 

    कोयल का बेसुरा राग़ 

    आम के पेड़ का बिखरा शृंगार

    अमेरि का कसेला स्वाद 

    एक अरसे बाद...

    मैंने जी भर कर आँसू बहाए

    सरसों के बीज रहित फूल पर 

    इंद्र की भयंकर भूल पर 

    एक अरसे बाद...

    मैं हुआ उदास 

    गन्ने की फसल बो पाने 

    गन्ना ही चूस पाने के भय से 

    एक अरसे बाद...

    मैंने जी भर कोसा 

    सृष्टी बनाने वाले को 

    हर किसान की बदहाली को...

    एक अरसे बाद...

    स्रोत :
    • रचनाकार : संदीप तोमर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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