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दहशत के रिश्ते

dahshat ke rishte

रंजना जायसवाल

रंजना जायसवाल

दहशत के रिश्ते

रंजना जायसवाल

और अधिकरंजना जायसवाल

    सुना है वह गणित में

    बहुत कमज़ोर थी

    पर वक्त बदला

    वक्त के साथ रिश्ते भी

    उसने उँगलियों पर

    गिन रखे थे

    उनकी भूख के हिसाब

    नौ बजे नाश्ता

    डेढ़ बजे खाना

    छः बजे चाय

    नौ बजे रात का खाना

    एक दम नपा-तुला

    उसकी उँगलियों के स्वाद की तरह

    कम ज़्यादा

    वह चाहती थी

    ख़ुद को बेहतर साबित करना

    जिनसे जुड़े थे उसके दिल के रिश्ते

    क्योंकि…

    उसने लोगों से कहते सुना था

    दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है

    वो करती रही उम्र भर

    सबके लिए

    एक उम्मीद के साथ

    ख़ुद को बेहतर साबित करने के लिए

    अपने आप को सिद्ध करने के लिए

    जिसमें वक्त के साथ

    प्यार कम दहशत ज़्यादा थी

    शायद!

    रिश्तों की दहशत

    या फिर

    दहशत के रिश्ते…

    स्रोत :
    • रचनाकार : रंजना जायसवाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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