Font by Mehr Nastaliq Web

उदास फूल

udaas phool

मधु सिंह

अन्य

अन्य

मधु सिंह

उदास फूल

मधु सिंह

और अधिकमधु सिंह

    हरी-हरी पत्तियों के बीच से झाँकता

    वह लाल सुर्ख़ जावा फूल

    आते-जाते यात्रियों को

    मानो एकटक निहारने के लिए कहता हो

    वह कहना चाहता है कहानी

    अपने दादा परदादा की

    जिसे अभी के बच्चे और नौजवान

    नहीं सुनना चाहते

    अपनी दादी या नानी से

    वे नहीं जानना चाहते हैं

    अपनी परंपरा को

    संस्कृति को

    इतिहास को

    ख़ुद को

    और अपनी आत्मा को

    वे सौंपते जा रहे हैं

    अपनी देह मशीन को

    और मस्तिष्क मोबाइल को

    परंपरा से कटते

    संस्कृति से कटते

    अब कटते जा रहे हैं अपनों से

    सिमट रही है उनकी दुनिया

    सेल्फ़ी वाले कैमरे की गिरोह में

    तस्वीरों को क़ैद करने की कोशिश में

    वे हो रहे ख़ुद क़ैद

    आत्ममुग्धता में घिर

    वे भूल गए हैं रचनात्मकता

    वे भूल गए हैं सह्दयता

    और अब वे

    खोखली-सी देह लिए

    भटक रहे हैं दिशाहीन

    और वह फूल

    जिसे इंतज़ार था

    उनके आने का

    अब उदास है

    स्रोत :
    • रचनाकार : मधु सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY