Font by Mehr Nastaliq Web

आँगने आँगन जे मन्दिर

angane angan je mandir

विवेकानन्द ठाकुर

अन्य

अन्य

विवेकानन्द ठाकुर

आँगने आँगन जे मन्दिर

विवेकानन्द ठाकुर

और अधिकविवेकानन्द ठाकुर

    मन्दिर-मन्दिर

    अनघोल होइए

    आँगने आँगन जे मन्दिर

    से नहि सुझइए?

    छोट-बड़ छोट

    चौपहल

    चिक्कन माटि सँ

    चिक्कन क’ ढौरल

    अंकित श्री हनुमान

    बलधाम

    ऊपर शोभित

    तुलसी-श्याम

    से नहि सुझइए?

    मन्दिर-मन्दिर

    अनघोल होइए…

    पृथ्वी जिनक आसन

    आकाश जिनक छाजन

    माटिक आकार

    माटिए सिंगार

    जिनका ने द्वार

    ने द्वारपाल

    ने पंडा

    ने दलाल

    जत’ ने त्रिशूल

    ने तरुआरि

    ने हड़दंगा

    ने अड़ारि

    से नहि सुझइए?

    मन्दिर-मन्दिर

    अनघोल होइए…

    माय

    सूति उठि

    सकाले

    नीपथि जिनक सहन

    घरक सब काज

    सम्पन्न करथि जखन

    दतमनि लेथि तखन

    स्नान करथि

    अछिंजल भरने आबथि

    तुलसी-दलक दू बुन्न जल

    मुह मे माथ पर लेथि

    तुलसी-दल सँ ठोपे ठोप चुबैत

    अमृत-जल

    से नहि सुझइए?

    मन्दिर-मन्दिर

    अनघोल होइए…

    माय

    पहिल साँझ

    देखाबथि साँझ

    आँचर ल’ क’

    कल जोड़थि

    सभक कल्याण माँगथि

    मायक आँचरक इरोत मे

    दीपक इजोत

    से नहि सुझइए?

    मन्दिर-मन्दिर

    अनघोल होइए…

    यज्ञक उद्यापन

    रवि-व्रतक समापन

    भादवक एकसंझा

    मंगलक निष्पादन

    छोट-पैघ पावनि

    सभक निर्वहण

    से नहि सुझइए?

    मन्दिर-मन्दिर

    अनघोल होइए…

    लतामक ठुर्री

    खीराक टुकड़ी

    केरावक अँकुरी

    छाल्हीक जोग

    गुड़ही मोहनभोग

    हनुमानजीक रोट

    सेनुरक ठोप

    बिन पाइए आशीर्वाद

    बिन पाइए प्रसाद

    से नहि सुझइए?

    मन्दिर-मन्दिर

    अनघोल होइए…

    छोट-बड़ छोट

    चौपहल

    चिक्कन माटि सँ

    चिक्कन क’ ढौरल

    अंकित श्री हनुमान

    बलधाम

    ऊपर शोभित

    तुलसी-श्याम

    हुनके कोर मे

    जिबैत केँ कल्याण

    मरैत केँ छूटय प्राण

    से नहि सुझइए?

    मन्दिर-मन्दिर

    अनघोल होइए…

    आँगने आँगन जे मन्दिर

    से नहि सुझइए?

    से नहि सुझइए?

    स्रोत :
    • पुस्तक : चानन घन गछिया (पृष्ठ 9)
    • रचनाकार : विवेकानन्द ठाकुर
    • प्रकाशन : विवेकानन्द ठाकुर
    • संस्करण : 2011

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY