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चुंगी

chungi

मनीषा जोषी

और अधिकमनीषा जोषी

    शिव के पास अगर तीसरी आँख थी

    तो देवी मीनाक्षी के पास था तीसरा स्तन।

    नान्गेली* के पास कुछ नहीं था

    सिर्फ़ एक साधारण शरीर के सिवाय

    लेकिन केले के पत्तों पर

    अपने स्तन काटकर रख दिए उसने

    पर वक्ष ढकने का कर नहीं दिया।

    अपने वक्ष-अंतराल को शरीर से नष्ट करना

    किसी देवी के बस की बात नहीं

    यह तो सिर्फ़ वह अस्पृश्या ही कर सकती थी।

    स्त्री होने और देवी होने के दरमियान

    कहीं जी रही है वह आज भी

    एक कुमारिका के रूप में

    केले के उपवनों में खेलती हुई।

    वन के गहन

    हरे अंधकार तले

    उसके स्तनों में जमा हो रहा है आज भी

    एक कन्या होने का कर।

    आज भी घसीट कर ले जा रहे हैं

    उसे जंगलों में

    और उसके पीछे चला रहा है

    पुरुषों का एक गुट नगाड़े बजाता हुआ।

    केले के पत्तों में लिपटी हुई

    एक दलित कन्या

    आज भी चुका रही है क़र्ज़

    हम सब मादाओं के स्तनों की

    युग्मित संरचना के लिए।

    * उन्नीसवी सदी में दक्षिण भारत में दलित स्त्रियों को अपने वक्षस्थल ढकने की अनुमति नहीं थी। इसके लिए उन्हें कर भुगतान करना पड़ता था। वहाँ के ब्राह्मण राजा ने जो दलित स्त्रियाँ वक्ष ढकना चाहती थीं उनसे ‘वक्षस्थल शुल्क’ लेना शुरू किया था। स्तन जितने बड़े, चुंगी उतनी ज़्यादा ली जाती थी। तब चेरथला में रहती नान्गेली नाम की एक दलित स्त्री ने यह कर भरने का विरोध करते हुए, पैसे वसूलने आए अधिकारी को अपने दोनों स्तन काटकर दे दिए थे।

    यहाँ दूसरा एक संदर्भ तमिलनाडु के देवी मीनाक्षी के मंदिर से है। राजा मलयाध्वज की पुत्री मीनाक्षी मीन के समान आँखों वाली सुंदर थी, लेकिन वह तीन स्तनों के साथ जन्मी थी। तब राजा-रानी का दुख कम करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें कहा था कि जब उनकी पुत्री के लिए योग्य वर मिल जाएगा, तब उसका तीसरा स्तन भी ग़ायब हो जाएगा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनीषा जोषी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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