Font by Mehr Nastaliq Web

मयख़ाने में

maykhane mein

अनुवाद : ह्रिस्तो बोतेव

ह्रिस्तो बोतेव

अन्य

अन्य

ह्रिस्तो बोतेव

मयख़ाने में

ह्रिस्तो बोतेव

और अधिकह्रिस्तो बोतेव

    दे दो मुझको मधु का प्याला, बुरा समय है

    जब पी लूँगा नहीं तनिक सोचूँगा पल भर

    तुम जैसे मतिमंदों, अंधों के बारे में

    नहीं जानते हैं जो यश-अपयश का अंतर।

    हो सकता है, भूलूँ पैदा हुआ जहाँ था

    भूलूँ वह घर, जहाँ मात ने पाला-पोसा

    भूलूँ सखा कि जिनसे प्रेरित हुई आत्मा

    संकल्प मिले, मैं करूँ सामना संघर्षो का।

    हो सकता है भूलूँ मैं अपने लोगों को

    शायद भूलूँ क़ब्र पिता की, माँ के दुःख को

    भूलूँ उनको लूट रहे जो मज़बूरों को

    छीन रहे मीठे शब्दों से जिनके सुख को।

    भूलूँ, चोरी करते जो भूखे लोगों के

    भूपतियों को, निम्न वर्ग से छल करते जो

    सोने के लोभी सौदागर, उनको भुलूँ

    ओ' भक्तों का शोषण करते पादरियों को।

    अज्ञानी लोगो, लूटो तुम जनता को

    दंडित तुम्हें कोई करने वाला है

    कर पाएँगे विद्रोह नहीं हम युग-युग तक

    युवा वर्ग सब जाम उठाने वाला है।

    हम यहाँ गा रहे गीत ज़ोर से भड़कीले

    करते तानाशाही के ज़ुल्मों की निंदा

    अब शराबख़ानों में होता शोर बहुत है

    करें पहाड़ों में जाकर अपना स्वर ज़िंदा।

    हम ज़ोरों से चिल्लाते रहते हैं लेकिन

    भूल प्रतिज्ञा जाते जब होते गंभीर

    हँसकर या चुप रहकर हम करते उपेक्षा

    दुःख में जमी है जो इन लोगों की पीर।

    फिर भी लेकिन तानाशाहों का सबल क्रोध

    जन्मभूमि को अपमानित करता रहता है।

    करता क़त्ल, पीटता है ग़ुलाम लोगों को

    सबके ऊपर भारी जुर्माने करता है।

    भर दो मेरा प्याला मैं इसको पीऊँगा

    हल्कापन महसूस कर सके दिल में अपने

    मैं दूर कर सकूँ इन गंभीर विचारों को

    जो मेरी भुजा और मुट्ठी कुछ नम्र बने।

    शत्रु, स्वामियों, देशभक्त और सामंतों

    मैं पीऊँगा, अब सबका विरोध करने को

    मूल्यवान या प्रिय मुझको कुछ नहीं रहा है

    और जहाँ तक तुम हो...तुम सब मूर्ख-अधम हो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बल्गारियाई कविताएँ (पृष्ठ 19)
    • संपादक : रमेश कौशिक
    • रचनाकार : ह्रिस्तो बोतेव
    • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY