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भारतीय पवन के प्रति

bharatiy pavan ke prati

अनुवाद : यतेन्द्र कुमार

पर्सी बिश शेली

पर्सी बिश शेली

भारतीय पवन के प्रति

पर्सी बिश शेली

और अधिकपर्सी बिश शेली

    तेरे सपनों से मैं जगता,

    पहिले मधुर शयन में निशि के!

    जब हौले समीर है बहता,

    उजियारे तारे जब चमके

    जगता मैं तेरे सपनों से,

    आत्मा है चरणों में मेरे,

    जो ले आई जाने कैसे,

    मुझको वातायन में तेरे!

    भ्रांत पवन बेहोश हो रहे,

    तम पर औ’ स्तब्ध झरनों पर,

    चंपक, सौरभ व्यर्थ खो रहे,

    मृदुल स्वप्न-भावों से होकर,

    हाय! शिकायत बुलबुल की तो,

    उसके दिल पर ही होती प्रिय,

    मरना जैसे तुझ पर मुझ को,

    तू है इतनी क्योंकि मुझे प्रिय!

    आह! उठाले, मुझे घास से,

    मृत, निष्प्रभ मूर्छित होता मैं!

    पीत पलक, अधरों पर बरसे,

    तब स्नेह, चुंबन-बरखा में

    सम कपोल हैं श्वेत शीतमय,

    बढ़ती जाती दिल की धड़कन!

    आह। सटा ले! अपने से यह

    जहाँ थमेगा अंतिम कंपन!

    स्रोत :
    • पुस्तक : शेली (पृष्ठ 30)
    • संपादक : यतेन्द्र कुमार
    • रचनाकार : पर्सी बिश शेली
    • प्रकाशन : भारत प्रकाशन मंदिर, अलीगढ़

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