Font by Mehr Nastaliq Web

बच्चों का दीवार पे लिखना

bachchon ka divar pe likhna

जितेंद्र वाशिष्ठ

अन्य

अन्य

जितेंद्र वाशिष्ठ

बच्चों का दीवार पे लिखना

जितेंद्र वाशिष्ठ

और अधिकजितेंद्र वाशिष्ठ

    बच्चों का दीवार पे लिखना, अच्छा लगता है

    पल में रोना, पल में हँसना, अच्छा लगता है

    वैसे तो यह प्यार-व्यार इक झंझट है यारो

    लेकिन इस झंझट में पड़ना, अच्छा लगता है

    ठोस ज़मीं पर पाँव जमाना, वाजिब है माना

    हमको पर आकाश में उड़ना, अच्छा लगता है

    यूँ तो पहले से ही तय है, क्या होना लेकिन

    होने होने में रहना, अच्छा लगता है

    उनकी दुनिया में अपनी कीमत क्या है मालूम

    फिर भी उनको तकते रहना, अच्छा लगता है

    स्रोत :
    • पुस्तक : तीन पीढ़ियाँ साठ कविताएँ (पृष्ठ 87)
    • रचनाकार : जितेंद्र वाशिष्ठ
    • प्रकाशन : बोधि प्रकाशन
    • संस्करण : 2024

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY