अपनी याद में

apni yaad mein

गौरव भारती

गौरव भारती

अपनी याद में

गौरव भारती

और अधिकगौरव भारती

    शहर से लौटना

    अपने गाँव

    लौटना नहीं होता

    हमेशा के लिए

    वह होता है

    कुछ-कुछ वैसा ही

    जैसे लौटता हो कोई अपनी याद में

    संचारी भाव लिए

    शहर से लौटने वाला हर इंसान

    साथ लाता है अपने थोड़ा-सा शहर

    जो फैलता है गाँव में

    संक्रमण की तरह

    और फिर लौटते हुए

    वह छोड़ जाता है

    पगडंडियों पर अपनी बूट में फँसी सड़क

    वह छोड़ जाता है

    दूसरी पतंगों को काटने का स्थायी भाव

    वह छोड़ जाता है

    अपने पीछे एक चमकदार बल्ब

    जिसकी मरम्मत नहीं हो पाती

    फ़्यूज़ हो जाने पर

    स्रोत :
    • रचनाकार : गौरव भारती
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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