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अहाँकेँ की चाही?

ahanken ki chahi?

अशोक

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अहाँकेँ की चाही?

अशोक

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    हुजूर अहीँ कहू?

    अहाँकेँ की चाही?

    शब्द चाही

    कि अर्थ चाही?

    हमरा लग राशि-राशिक

    शब्द अछि।

    फूसि, साँच, भरिगर, हल्लुक

    तत्सम, तद्भव,

    देशी, विदेशी, जी हाँ

    एकदम 'इम्पोर्टेड' शब्द।

    जे चाहब सभ भेटत हुजूर!

    जँ अर्थ चाही—

    तँ पेश कऽ सकैत छी

    हम एकसँ एक

    तीक्ख, मिट्ठ

    कोमल, कठोर

    दुरूह, बोधगम्य

    सभ तरहक अर्थ

    हमर 'शो केश’मे बंद अछि

    देखि लेल जाय

    चुनि लेल जाय।

    खाली 'आर्डर'क देरी छैक हुजूर।

    शब्द अर्थक

    हम ढेरी लगा देब।

    एक-एक शब्द अहाँक

    जिनगी हरियर करऽ लेल

    काफी अछि।

    एक-एक अर्थ

    जिनगी भरिक खोराक होयत।

    कोनो तारतम्यक काज नहि

    एम्हर-ओम्हर तकबाक काज नहि।

    की कहलहुँ हुजूर?

    कोन शब्द?

    —आदर्श' आ' 'नैतिकता' तँ—

    आउट आफ मार्केट' अछि।

    'सप्लाइ' बन्द छैक।

    हुजूर, घिसल-पीटल शब्द लऽ कए

    की करब?

    'लेटेस्ट डिजायन'क शब्द, अर्थ देखू।

    अहाँकेँ किछु नहि करऽ पड़त, हुजूर

    खाली एहि कागतपर

    दस्तखत करऽ पड़त

    केवल एक दस्तखत।

    बदलामे जे अर्थ चाही

    जे शब्द चाही

    घबड़ेबाक कोनो बात नहि, हुजूर!

    एहन-एहन कतेक दस्तखत

    हमर 'आयरन सेफ'मे

    बंद अछि।

    जी!

    स्रोत :
    • पुस्तक : चक्रव्यूह पसरैत (पृष्ठ 26)
    • रचनाकार : अशोक
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2023

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