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23 मार्च

23 march

अनुवाद : चमनलाल

पाश

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23 मार्च

पाश

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    उसकी शहादत के बाद बाक़ी लोग

    किसी दृश्य की तरह बचे

    ताज़ा मुँदी पलकें देश में सिमटती जा रही झाँकी की

    देश सारा बच रहा बाक़ी

    उसके चले जाने के बाद

    अपने भीतर खुलती खिड़की में

    लोगों की आवाज़ें जम गई

    उसकी शहादत के बाद

    देश की सबसे बड़ी पार्टी के लोगों ने

    अपने चहरे से आँसू नहीं, नाक पोंछी

    गला साफ़ कर बोलने की

    बोलते ही जाने की मशक़ की

    उससे संबंधित अपनी उस शहादत के बाद

    लोगों के घरों में, उनके तकियों में छिपे हुए

    कपड़े की महक की तरह बिखर गया

    शहीद होने की घड़ी में वह अकेला था ईश्वर की तरह

    लेकिन ईश्वर की तरह वह निस्तेज था।

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    पाश

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    स्रोत :
    • पुस्तक : लहू है कि तब भी गाता है (पृष्ठ 31)
    • संपादक : चमनलाल, कात्यायनी
    • रचनाकार : पाश
    • प्रकाशन : परिकल्पना प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

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