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कविता संग्रह

हिंदी की काव्य-परंपरा

से विभिन्न काव्य-विधाओं की रचनाओं का विशाल-संग्रह

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अम्न का राग

शमशेर बहादुर सिंह

बहनें

असद ज़ैदी

ब्रह्मराक्षस

गजानन माधव मुक्तिबोध

चाँद का मुँह टेढ़ा है

गजानन माधव मुक्तिबोध

चुका भी हूँ मैं नहीं!

शमशेर बहादुर सिंह

एक नीला दरिया बरस रहा

शमशेर बहादुर सिंह

फ़र्क़

आलोकधन्वा

घर की याद

भवानीप्रसाद मिश्र

गोली दाग़ो पोस्टर

आलोकधन्वा

हमने यह देखा

रघुवीर सहाय

कपड़े के जूते

आलोकधन्वा

लेकर सीधा नारा

शमशेर बहादुर सिंह

लोग भूल गए हैं

रघुवीर सहाय

मरघट

रघुवीर सहाय

मोचीराम

धूमिल

मुसलमान

देवी प्रसाद मिश्र

नदी

कृष्ण कल्पित

नागार्जुन के बाँदा आने पर

केदारनाथ अग्रवाल

नई खेती

रमाशंकर यादव विद्रोही

पहला चुंबन

अशोक वाजपेयी

पतंग

संजय चतुर्वेदी

राम की शक्ति-पूजा

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

संगतकार

मंगलेश डबराल

सरोज-स्मृति

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

सतपुड़ा के जंगल

भवानीप्रसाद मिश्र

स्वच्छंद लेखक

रघुवीर सहाय

तोड़ती पत्थर

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

टूटी हुई, बिखरी हुई

शमशेर बहादुर सिंह

उक्ति

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

वह सलोना जिस्म

शमशेर बहादुर सिंह

ज़िलाधीश

आलोकधन्वा

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली।

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