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मैं हवा की पुकार पर भटका

main hava ki pukar par bhatka

आनंद बहादुर

अन्य

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आनंद बहादुर

मैं हवा की पुकार पर भटका

आनंद बहादुर

और अधिकआनंद बहादुर

    मैं हवा की पुकार पर भटका 

    बू-ए-गुल था, इधर-उधर भटका 

    रास्ते में जिधर-जिधर भटका 

    रास्ता भी उधर-उधर भटका 

    चारासाज़ी में अक्सर यूँ भी हुआ 

    ज़ख़्म को देखा, तो नश्तर भटका 

    मेरे क़दमों के पास थी मंज़िल 

    मुझको मालूम था, मगर भटका 

    उसकी क़ुर्बत मुझे मिल पाई 

    मैं के उसके क़रीबतर भटका 

    जिसको कहते हैं सितारा ज़बीं 

    मेरे करतूतों से अक्सर भटका 

    मुझमें उसका धनक उतर जाता

    मैं मगर अपने रंग पर भटका

    स्रोत :
    • रचनाकार : आनंद बहादुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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