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अब गुलालो त असली

ab gulalo ta asli

गहबर गोवर्द्धन

गहबर गोवर्द्धन

अब गुलालो त असली

गहबर गोवर्द्धन

और अधिकगहबर गोवर्द्धन

    अब गुलालो असली उड़ावल करीं

    रंग इन्सानियत के लगावल करीं

    आदमी आदमी के जे बाँटल करे

    आँख पर जनि चश्मा चढ़ावल करीं

    बात रउरे रही, हर शब्द के मगर

    दूध में खीर जइसन सिंझावल करीं

    का चोरवलीं, चोरवलीं कजरवा अगर

    पानियो आँख से चोरावल करीं

    सब पहिलहीं से धनकत-जरत बा इहाँ

    मेघ बरिसे मल्हार गावल करीं

    बात मानीं, तनी खीसि नेवर करीं

    कृष्ण बन गोपियन के रिझावल करीं

    स्रोत :
    • पुस्तक : समय के राग (पृष्ठ 37)
    • संपादक : जगन्नाथ, भगवती प्रसाद द्विवेदी
    • रचनाकार : गहबर गोवर्द्धन
    • प्रकाशन : भोजपुरी साहित्य प्रतिष्ठान, पटना
    • संस्करण : 2003

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