जिन्दगी के सुख
jindgi ke sukh sabhakra mayassar baTe
जिन्दगी के सुख सभकरा मयस्सर बाटे कहाँ
बेसरन बहुते परल बा लोग घर बाटे कहाँ
पुरखतर बा आदमी जतना भइल एह वक्त में
जानवर भी ओतना अब पुरखतर बाटे कहाँ
स्वार्थ साधे में ही सभ सवलान रातो-दिन रहत
ध्यान केहू के इचिकियो देश पर बाटे कहाँ
घोर नफरत बा, घृणा बा आदमी के बीच में
प्यार से सबके निहारे, ऊ नजर बाटे कहाँ
जी रहल बा लोग अब मर-मर के 'आँसू' जिन्दगी
मौत से ई जिन्दगी अब बेहतर बाटे कहाँ
- पुस्तक : समय के राग (पृष्ठ 28)
- संपादक : जगन्नाथ, भगवती प्रसाद द्विवेदी
- रचनाकार : ए. कुमार ‘आँसू’
- प्रकाशन : भोजपुरी साहित्य प्रतिष्ठान, पटना
- संस्करण : 2003
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