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प्रेमशस्त्र

premshastr

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

और अधिकधीरेन्द्र प्रेमर्षि

    जाहि हृदयमे प्रेम बसय से हैत किए भयभीत रे

    'दीवाना दिल' मगन भऽ गाबय बस एक्कहिटा गीत रे

    प्रीत ने मानय रीत रे

    निश्छल मनसँ चाखिकऽ देलकनि बैर जे भिलनी सबरी

    रामचन्द्रकेँ ओहीमे भेटलनि प्रेमक अनन्त भभरी

    जाति-पाति ऊँच-नीच एहिसभकेँ लै छै जीत रे

    प्रीत ने मानय रीत रे

    राधा-कृष्णक प्रेमक सगरो दै छै लोक दोहाइ

    सैह प्रेम जँ घरमे अँकुरय से ने कियै सोहाइ

    प्रेमक खेतमे उपजै घिरना रीत अजब विपरीत रे

    प्रीत ने मानय रीत रे

    कहय कबीरा जीवनमे बस्स अक्षर छैक अढ़ाइ

    प्रेमसँ बढि़कऽ एहि दुनियामे छैक ने कोनो पढ़ाइ

    प्रेमक पथपर लड़खड़ाइक जे से नहि थिक मनमीत रे

    प्रीत ने मानय रीत रे

    स्रोत :
    • पुस्तक : ई-मिथिला
    • संपादक : बालमुकुन्द
    • रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
    • संस्करण : 2025

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