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प्रेम-वेदना

prem vedna

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

और अधिकधीरेन्द्र प्रेमर्षि

    बीत-बीतपर लछमन रेखा डेग-डेगपर आरि

    केहन विधना लिखल विधाता सदिखन गारीये-मारि

    अक्खज भऽ जीबैए नारि अपनाकेँ अपनहि परतारि

    केहनो दरदमे इस्स नै बाजय सीबिकऽ बैसल ठोर

    एतबय छै अधिकार ओकर जे कानि लिअय दू नोर

    जीवन-मरणसँ खा कऽ हारि तिलतिल गलैत रहैए नारि

    अक्खज भऽ जीबैए नारि अपनाकेँ अपनहि परतारि

    जकरा जाइए मानल देवी तकरो विधना वाम छै

    ताधरि सीता जरबे करतै बौक बनल जा राम छै

    ककरा लग जा करति गोहारि गुम्मी लधने बैसलि नारि

    अक्खज भऽ जीबैए नारि अपनाकेँ अपनहि परतारि

    समय कहैए पाँचो आङुर मिलिकऽ मुट्ठी बान्ह

    तखनहि हटतै जोर-जुलुमकेर सबटा पगहा-छान

    दमनक दुनिया देतै उजाड़ि जँ सङ्ग मिलिकऽ चलतै नारि

    अक्खज भऽ जीबैए नारि अपनाकेँ अपनहि परतारि

    ओना कहै सभ नारि-पुरुख जिनगीक रथकेर दू पहिया

    मुदा हृदयसँ नारीक महिमा लोक बुझत कहिया

    सृष्टिक गाछक दुनू ठाढ़ि जहिना पुरुष तहिना नारि

    अप्पन दुनिया लेतै सम्हारि पुरुषक सङ्गसङ्ग चलतै नारि

    स्रोत :
    • पुस्तक : ई-मिथिला
    • संपादक : बालमुकुन्द
    • रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
    • संस्करण : 2025

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