भलहि संसारसँ हम अघायल रही
मुदा नेहक पियासे सोन्हायल रही
किछु कहब ने हम ने किछु अहाँ कही
बस जुट्टी जकाँ हम गुहायल रही
राति ससरैत रहय चाहे भऽ जाइक भोर
बात पसरैत रहय चाहे भऽ जाइक शोर
अछि अजबारल मोनक मटकूरी प्रिये
सुसुम नेहसँ जमाबी एहि जिनगीक दही
किछु कहब ने हम ने किछु अहाँ कही
बस जुट्टी जकाँ हम गुहायल रही
लेलहुँ आइये प्रिये अपन मनमे हम ठानि
अहीँ हम्मर छी जिनगी, हमर भेलेन्टाइन
जे गलय ने जरय आ ने फाटय प्रिये
दुनू दिलमे झट कऽ ली एक-दोसरक सही
किछु कहब ने हम ने किछु अहाँ कही
बस जुट्टी जकाँ हम गुहायल रही
- पुस्तक : ई-मिथिला
- संपादक : बालमुकुन्द
- रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
- संस्करण : 2025
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