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अनोखी भूल

anokhi bhool

एक बार शिव और पार्वती ने सभी देवी-देवताओं को अपने घर भोज पर आमंत्रित किया। भोज में सभी देवी-देवता पहुँचे। गोंड देवता भी अपनी पत्नी सहित भोज में सम्मिलित हुए। जब बहुत देर हो गई तो गोंड देवता ने सोचा कि अब घर लौटना चाहिए। वे अपनी पत्नी को ढूँढ़ने लगे। भोज में उपस्थित सभी देवियाँ एक जैसी दिखाई पड़ रही थीं। उन्होंने लगभग एक जैसे वस्त्र पहन रखे थे। गोंड देवता अपनी पत्नी को पहचान नहीं पा रहे थे।

उलझन में पड़े हुए गोंड देवता को एक देवी अपनी पत्नी जैसी दिखाई पड़ी। वह उनकी तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। गोंड देवता आगे बढ़े और उन्होंने उस देवी के कंधे पर हाथ रखा।

‘बहुत देर हो गई है। अब घर लौटना चाहिए।’ गोंड देवता ने कहा।

गोंड देवता का स्वर सुनकर और अपने कंधे पर हाथ स्पर्श पाकर उस देवी ने पलट कर देखा। उस देवी को देखकर गोंड देवता सन्न रह गए। वह उनकी पत्नी नहीं अपितु साक्षात पार्वती थीं। पार्वती को गोंड देवता के दुस्साहस पर बहुत क्रोध आया। वे आगबबूला हो उठीं।

‘तुमने मुझे स्पर्श कैसे किया? तुम्हारा ये साहस!’ पार्वती ने आँखें लाल करते हुए कहा।

गोंड देवता यह बताना चाह रहे थे कि उन्होंने भूलवश ऐसा किया किंतु पार्वती उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थीं। कोलाहल सुनकर शिव गए।

‘क्या बात है? ये कोलाहल कैसा?’ उन्होंने पार्वती से पूछा।

‘गोंड देवता ने मुझे स्पर्श किया। मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा।’ पार्वती ने रुष्ट होते हुए कहा।

‘ऐसा क्यों किया आपने?’ शिव ने गोंड देवता से पूछा।

‘ऐसा मुझसे भूलवश हुआ। चूँकि यहाँ उपस्थित सभी देवियाँ एक जैसी दिखाई पड़ रही थीं अत: देवी पार्वती को में भूलवश अपनी पत्नी समझ बैठा। मैंने ऐसा जानबूझ कर नहीं किया है।’ गोंड देवता ने शिव को बताया।

इस पर शिव ने पार्वती को समझा-बुझा कर शांत किया। शांत होने पर देवी पार्वती को समझ में आया कि यह सारी गड़बड़ी इसलिए हुई क्योंकि सभी देवियाँ एक जैसी दिखती हैं। अतः उन्होंने सभी देवियों की अलग-अलग पहचान के लिए एक उपाय सोचा। उन्होंने चित्रकार को बुलाया और सभी देवियों के शरीर पर भिन्न-भिन्न प्रकार के गोदने गोदवा दिए। स्वयं भी अपने शरीर पर भिन्न प्रकार का गोदना गोदवा लिया। इस प्रकार सभी देवियों की अलग-अलग पहचान स्थापित हो गई। इस प्रकार गोंडों में गोदना प्रथा प्रारंभ हुई।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 218)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

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