बेटा
किसी गाँव में एक बूढ़ा और बुढ़िया थे। उनका एक छोटा-सा घर था। घर में चावल नहीं था। उनका एक बेटा था। चावल नहीं होने के कारण वे लोग किसी दिन भूखे सो जाते,किसी दिन पेज रांधते तो किसी दिन भात रांधते। इस तरह कई दिन भूखे सो जाते। तो एक दिन बेटा कहने लगा,माँ! हम भूखे ही सो जाते हैं। चावल नहीं है किंतु आज मैं भात खाऊँगा। इस पर माँ कहने लगी, चावल तो नहीं है बेटे। तुम पेज पी लो। आज के लिए तुम पेज पी लो। पेज पीने पर पेट भर जाएगा। कल भात रांधेंगे।
बेटा बोला,मैं पेज नहीं पीऊँगा,माँ। मैं धान चोरी करने जा रहा हूँ। ऐसा कह कर वह धान चोरी करने गया। धान चुरा लाया। तब माँ ने धान कूटा और चावल बनाया। फिर भात रांध कर सबने खाया।
दूसरे दिन बेटा कहने लगा,मुझे माँस खाने की इच्छा हो रही है,माँ। ऐसा कह वह मुरिया जाति के एक व्यक्ति के घर गया। वहाँ से वह मुर्ग़ी चुरा लाया। यह देख कर उसकी माँ ने उससे पूछा,तुम यह माँस (मुर्ग़ी) कहाँ से चुरा लाए?
बेटे ने कहा,मैं इसे मुरिया के घर से चुरा लाया हूँ।
यह सुन कर माँ बोली,अरे बेटा! यह बात यदि पुलिस वालों को बता दी गई तो वे तुझे बाँध कर ले जाएँगे और थाने में बंद कर देंगे।
बेटा बोला,यह बात तुम किसी से मत बताना,माँ। मैं चुरा लाऊँगा। आज मैं बकरा चुराने जाऊँगा। ऐसा कह वह उस दिन गांडा जाति के घर गया और वहाँ से बकरा चुरा लाया। बकरा चुरा लाने पर उस दिन माँस खाने की उसकी इच्छा पूरी हो गई।
इसके बाद एक दिन वह मछली चुराने गया। इस तरह वह चोरी करने का आदी हो गया। उसके द्वारा चोरी किए जाने की बात धीरे-धीरे गाँव के लोगों को मालूम हो गई। तब एक दिन गाँव के लोगों ने मिल कर थाने में उसकी शिकायत कर दी। उन्होंने कहा कि उस लड़के ने उनका धान,मुर्ग़ी,बकरा,मछली आदि चुराई है। ऐसा कह वे पुलिस को लेकर उसके घर आए। तब पुलिस वाले वहाँ और उससे पूछा,तुमने क्यों इनकी चीज़ें चुराई? बकरी चुराई, मुर्ग़ी चुराई,धान चुराया,बकरा चुराया। तुम चोरी करने की बजाए मज़दूरी करते और अपना तथा अपने माता-पिता का पालन-पोषण करते,मज़े से खाते-पीते। इस तरह तुम एक अच्छे व्यक्ति की तरह जीवन-यापन करते। अपने माता-पिता को भात खिलाते,पेज देते,उनकी
सेवा करते। लेकिन इसके बदले तुमने चोरी करना सीख लिया। बूढ़ा-बुढ़िया तुम्हारे माता-पिता दो ही जने तो हैं और एक तुम बेटे हो। तुम मेहनत-मज़दूरी कर तीनों लोगों का पेट पाल सकते थे। लेकिन तुमने तो ग़लत रास्ता चुना। ऐसा कहते पुलिस वाले उसे पीटते-पीटते बाँध कर थाने ले गए। उसे उन्होंने बहुत पीटा बहुत पीटा और थाने ले गए। बूढ़ा-बुढ़िया बेटे के लिए बहुत रोए। रोते-रोते वे भूखे सो गए। भूखे रहते बेटे के लिए रोते-रोते वे दोनों मर गए। बेटे को उसकी चोरी की आदत के कारण जेल हो गई।
यह बात किसी को मत बताएँ।
- पुस्तक : बस्तर की लोक कथाएँ (पृष्ठ 144)
- संपादक : लाला जगदलपुरी, हरिहर वैष्णव
- प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
- संस्करण : 2013
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