भोजपुरी लोकगीत : रुनझुन खोल ना केवड़िया
bhojapurii lokagiit : runjhun khol na kevaDiya
रोचक तथ्य
संदर्भ—पति-पत्नी का हास-परिहास।
रुनझुन खोल ना केवड़िया, हम बिदेसवा जइबो ना।।टेक।।
जो मोरे सइयाँ तुहु जइब बिदेसवा, तू बिदेसवा।
जइबो ना।
हमारा भइया के बोलाइ द, हम नइहरवा जइबो ना।।1।।
रुनझुन खोल०।
जो मोरी धनिया तुहु जइबू नइहरवा, नइहरवा जइहू ना।
जाताना लागल बा रुपइया, ओतना देइ के जइहू ना।।2।।
रुनझुन खोल०।
जो मोरे सइयाँ तुहु लेब अब रुपइया, तू रुपइया लेबना।
जइसन बाबा घरवा रहनी, ओइसन करके दीह ना।।3।।
रूनझुन खोल०।
पति अपनी पत्नी से कह रहा है कि तुम किंवाड़ खोलो, मैं विदेश जाऊँगा।।टेक।।
पत्नी कहती है कि हे मेरे प्रिय! यदि तुम विदेश जाओगे तो हमारे भाई को बुलवा दो, मैं अपने नैहर जाऊँगी।।1।।
पति ने कहा कि हे मेरी लक्ष्मी! यदि तुम अपने नैहर (मायके) जाओगी तो विवाह में मेरा जितना रुपया ख़र्च हुआ है, उतना देकर जाना।।2।।
पत्नी ने सटीक उत्तर दिया कि हे मेरे स्वामी! यदि अब तुम रुपया लोगे तो मैं जैसी (कुमारी रूप में) पिता के घर में रही थी, वैसी ही करके दो।।3।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 110)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.