Font by Mehr Nastaliq Web

तरिवन-कनकु कपोल-दुति

tariwan kanaku kapol duti

बिहारी

अन्य

अन्य

बिहारी

तरिवन-कनकु कपोल-दुति

बिहारी

और अधिकबिहारी

    तरिवन-कनकु कपोल-दुति, बिच बीच हीं बिकान।

    लाल लाल चमकति चुनीं, चौका-चिह्न-समान॥

    एक सखी नायिका से कह रही है कि तेरे तरौने अर्थात् कर्णाभूषण का सोना तो तेरे कपोलों की कांति में विलीन हो गया है, किंतु उसमें लगी हुई लाल-लाल चुन्नियाँ अर्थात् माणिक्य दाँतों के चिह्न के समान चमक रही है। वास्तव में नायिका के कपोलों का वर्ण सुनहरा है। अतः सोने का बना हुआ ताटंक गालों की सुनहली कांति में खो जाता है। हाँ, ताटंक में लगी हुई लाल-लाल चुन्नियाँ अवश्य दिखाई पड़ती हैं। वे ऐसी लगती हैं, मानो नायिका के कपोलों में नायक द्वारा लगाए गए दाँतों के चिह्न हों।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बिहारी सतसई (पृष्ठ 219)
    • संपादक : हरिचरण शर्मा
    • रचनाकार : बिहारी
    • प्रकाशन : श्याम प्रकाशन, जयपुर
    • संस्करण : 2007

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY