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तन संशय मन सोनहा

tan sanshay man sonaha

कबीर

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तन संशय मन सोनहा

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और अधिककबीर

    तन संशय मन सोनहा, काल अहेरी नीत।

    एकै डाँग बसेरवा, कुशल पूछो का मीत॥

    शशा, कुत्ता और शिकारी एक ही जगह पर हों, तो शशा का कुशल कहां! शरीर संशय का घर है, मन कुत्ता है और अज्ञान शिकारी है। ये एक ही जगह पर नित्य रहते हैं, फिर हे मित्र! कुशल क्या पूछते हो!

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीजक: पारख प्रबोधिनी व्याख्या (पृष्ठ 609)
    • संपादक : अभिलाष दास
    • रचनाकार : कबीर
    • प्रकाशन : कबीर पारख संस्थान
    • संस्करण : 1969
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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