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दूसरी गोलमेज़-परिषद् में गांधी जी के साथ : आठ और नौ

dusri golmez parishad mein gandhi ji ke saath ha aath aur nau

घनश्यामदास बिड़ला

घनश्यामदास बिड़ला

दूसरी गोलमेज़-परिषद् में गांधी जी के साथ : आठ और नौ

घनश्यामदास बिड़ला

और अधिकघनश्यामदास बिड़ला

    6 सितंबर, 31

    'राजपूताना' जहाज़

    आज रविवार को जहाज़ के गिर्जे में प्रार्थना थी। कप्तान ने महात्मा जी को न्यौता दिया था। पंडित जी और हम भी गए थे। भजन, ध्यान, गुणगान होता रहा। पंडित जी का हाथ में बाइबिल लेकर ईसाइयों के साथ ध्यानावस्थित होना विशेषतापूर्ण था। पंडित जी को जो कोई लकीर का फ़क़ीर बताता है, वह मूर्ख है। पंडित जी अरब का पानी पी सकते है, गिर्जे में प्रार्थना कर सकते है, फिर भी परम सनातनी है, क्योंकि उनके हृदय में ईश्वर विराजमान है। जो हो, पंडितजी का बाइबिल हाथ में लिए हुए ध्यानमग्न होना, यह दर्शन दुर्लभ है।

    गांधी जी को कप्तान ऊपर ले गया और वहाँ जहाज़ का संचालक चक्कर उनके हाथ मे देकर उनसे जहाज़ चलवाता रहा। किसी ने मज़ाक़ में कहा कि हिंदुस्तान के जहाज़ का गांधी जी संचालन कर रहे है।

    स्वेज और पोर्ट सईद मे अरब लोग आएँगे और गांधी जी का सत्कार होगा। स्वेज में प्रवेश होते ही जाड़ा शुरू हो गया। कल तक तो बेहद गर्मी थी।

    7 सितंबर, 31

    'राजपूताना' जहाज़

    स्वेज नहर पहुँचने पर काफ़ी चहल-पहल मच गई। जहाज़-पर मुसाफ़िरों की डाक्टरी परीक्षा ली गई। परीक्षा का तो केवल नाम था। डाक्टर मिश्र-सरकार की ओर से आया था, वह मुसाफ़िरों को केवल देख लेता था और पास कर देता था। अंत में गांधी जी की पार्टी आई तो डाक्टर उठ खड़ा हुआ और हाथ मिलाकर कहने लगा कि मेरी इस किताब में आप अपने हाथ से दो शब्द लिख दें। इस तरह गांधी जी की शारीरिक परीक्षा समाप्त हुई। इसके बाद जहाज़ पर मिश्र के राष्ट्रीय नेता, अख़बारनवीस, फ़ोटो-ग्राफ़र पहुँचे। प्रायः लोग गांधी जी से हाथ मिलाकर उनके हाथ चूमते जाते थे। जहाज़ पर बड़ी भीड़ हो गई। जहाज़ छूटने का समय आया, तब बड़ी मुश्किल से लोगों को किनारे उतारा। चित्र उतारने वालों ने तो ज़्यादती शुरू कर दी। एक क्षण गांधी जी को आराम से नहीं बैठने दिया। जिधर मुँह फेरें, उधर ही चित्रवाले अपना चित्रयंत्र लिए झपटने को तैयार। कम-से-कम 200-300 चित्र लिए होंगे। लंदन के ‘डेली टेलीग्राफ़’ का प्रतिनिधि भी आया था। उसने भी बहुत-से प्रश्न किए। अंत में जहाज़ चला। कुछ प्रतिनिधि तो साथ हो लिए, जो रातभर सफ़र कर सुबह पोर्ट सईद में उतरे।

    रात की प्रार्थना के समय मिश्र के बहुत से प्रतिनिधि प्रार्थना में भी शरीक़ हुए। एक जर्मन ने अहिंसा के संबंध में महात्मा जी से प्रवचन करने को कहा, जिस पर महात्मा जी ने आधे घंटे तक अत्यंत सुंदर प्रवचन किया। मिश्र वाले उसे अपनी भाषा में लिखते जाते। जब तक महात्मा जी सोने गए तब तक महात्मा जी की हर बात को, हर क्रिया को मिश्र वाले नोट करते रहे। मैंने उनसे मिश्र का हाल पूछा। मालूम हुआ कि मैं पिछली बार आया था उसके बाद उन्होंने कोई उन्नति नहीं की है। दृढ़, निःस्वार्थ नेताओं की कमी है, तो भी नहासपाशाका काफ़ी आदर है। नहासपाशा ने महात्मा जी को प्रेम-भरा स्वागत का एक तार भी भेजा है और लौटती बेर काहिरा पधारने की प्रार्थना की है।

    सुबह पोर्ट सईद में भी काफ़ी लोग आए। शौकतअली पिछले जहाज़ से उतरकर मिश्र में और फ़िलस्तीन में भ्रमण कर रहे थे। वह भी हमारे जहाज़ में आज सवार हो गए हैं। सुना है कि वह मुस्लिम मुल्कों मे मुसलमानों का संगठन करने के लिए दौरा करने गए थे। गांधी जी ने चिंता की और इधर के मुसलमानों के साथ ऐक्य स्थापित करने का प्रयत्न किया। मिश्र वाले कहते थे कि इनका कहीं स्वागत नहीं हुआ। नहासपाशा ने तो कुछ खरी बाते भी सुना दी। इस तरफ़ के मुसलमान राष्ट्रवादी है। मज़हबी पागलपन उनमें नहीं है। इसलिए मौलाना साहब का रंग फीका ही रहा।

    पंडित जी के विषय में यहाँ छपा है कि पंडित जी कीचड़ की एक मटकी लाए है और रोज़ कीचड़ का एक बुत बनाकर पूजा करते हैं। पीने का पानी गंगा का आता रहेगा, जिसका कुल ख़र्च (15,000) बैठेगा, जो उनके एक धनी मित्र ने दिया है।

    स्वेज के किनारे-किनारे कहीं-कहीं अरब लोगों की भीड़ मिलती थी जो चिल्लाकर महात्मा जी का स्वागत करती थी।

    पोर्ट सईद में लोग महात्मा जी के लिए फल-फूल लाए थे, जिनमें ताज़ा आम और खजूर भी थे आम उतने स्वादिष्ट नहीं होते, जितने अपने यहाँ के, किंतु खजूर देखने में अत्यंत सुंदर थे—खाने में भी होंगे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : डायरी के कुछ पन्ने (पृष्ठ 21)
    • रचनाकार : घनश्यामदास बिड़ला
    • प्रकाशन : सस्ता साहित्य मंडल, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1958
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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