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स्वामी श्रद्धानंद

1856 - 1926 | जालंधर, पंजाब

स्वामी श्रद्धानंद की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 2

संसार नेताओं के पीछे चलता है, चाहे कितनी भी स्वतंत्रता की टाँग तोड़ी जाए। नेता चाहे संसार को डुबा दे और चाहे तार दें, लोग चलेंगे नेताओं के पीछे हो।

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जिसकी लाखों मूर्ख प्रशंसा करें और दूसरी ओर एक सदाचारी धर्मात्मा ज्ञान उसके आचार को दूषित समझें तो तत्त्वज्ञानी धर्मात्मा की सम्मति ही ठीक है।

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