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सम्पूर्णानंद

1891 - 1969 | वाराणसी, उत्तर प्रदेश

सम्पूर्णानंद की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 2

बुरा कर्म बुरा है चाहे वह कृत हो, चाहे कारित और चाहे अनुमोदित।

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महापुरुष अपने युग का प्रतीक है और समसामयिक शक्तियों का नाभिबिंदु होता है।

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